छत्तीसगढ़

भटक रहा 75 हाथियों का दल

कोरबा। धुर वनांचल और जिले की सीमांत सीमा से लगे गांवों के जंगलों में लगभग 75 हाथियों का दल टुकड़ों में बिखरा हुआ है। 4 रेंज के जंगल में मौजूद हाथियों के साथ शावक भी हैं जिनकी सुरक्षा के लिए हाथी किसी तरह का समझौता करते नहीं दिख रहे। हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेडऩे ग्रामीण गुलेल, पत्थर, डंडा का सहारा ले रहे हैं तो हाथी दूसरे रेंज में जाकर वहां से खदेड़े जाने पर वापस लौट आते हैं। हाथियों और ग्रामीणों के बीच संघर्ष जारी है।
जानकारी के अनुसार कटघोरा वन मंडल व विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत आने वाले केंदई वन परिक्षेत्र से लगे जंगलों में हाथियों का दल करीब एक सप्ताह से भी अधिक समय से डटा हुआ है। बताया जा रहा है कि घुंचापुर पंचायत के आश्रित ग्राम सलईगोट, लालपुर, बोरलाबाड़ी, बालको डंपिंग, घुंचापुर के जंगल में विचरण कर रहे इन हाथियों को दूसरी ओर भगाने के लिए ग्रामीण कई तरीके अपना रहे है जिनसे हाथी बौखला कर दूसरी ओर भाग जाते हैं। कुछ देर बाद वहां से खदेड़े जाने पर वापस अपनी पुरानी जगह पर लौट आते हैं। यह सिलसिला कई दिनों से चल रहा है। कोरबी वन परिक्षेत्र के केंदई सर्किल, पाली सर्किल के कुम्हारी पाली, पसान रेंज के जलके, जटगा रेंज के धवलपुर, मातिन, आमाटिकरा, ऐतमा रेंज के मड़ई, बुका के जंगल में अलग-अलग दल विचरण कर रहा है। लगभग 75 हाथी और उनके शावक 10 किमी के दायरे में फैले जंगलों में इधर से उधर हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि लालपुर से खदेड़े गए हाथी घुंचापुर के जंगल पहुंचे जहां से खदेड़े जाने पर चोटिया फिर परला और वहां से भगाए जाने पर वापस लालपुर के जंगल में वापसी हो हुई है। हाथियों का यह दल अपने साथ मौजूद शावकों को घेरा बनाकर बीच में सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास कर रहा है और इस ओर आने वाले ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ सकती है।

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