छत्तीसगढ़

बायोमीट्रिक, क्या सिर्फ शिक्षाकर्मियों के लिए

रायपुर। शिक्षाकर्मियों का पढ़ाई से ज्यादा अधिकांश समय बायोमीट्रिक के साथ माथापच्ची में गुजर रहा है। शिक्षाकर्मियों ने सवाल उठाया है कि बायोमीट्रिक की अनिवार्यता सिर्फ शिक्षाकर्मियों के लिए ही क्यों? शिक्षा विभाग से जुड़े अफसरों के लिए बायोमीट्रिक की अनिवार्यता क्यों नहीं की गई। शिक्षाकर्मी मोर्चा ने आरोप लगाया है कि शासन द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों में माह जनवरी से बायोमेट्रिक हाजरी के नाम से भेदभाव किया जा रहा है, केवल शिक्षक संवर्ग को गुणवत्ता के नाम पर आए दिन नए-नए आदेश जारी कर परेशान किया जा रहा हंै। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण बायोमेट्रिक अटेंडेंस है। पंचायत शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष चंद्रदेव राय नेे आरोप लगाया है कि शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर शाला की मूलभूत भौतिक आवश्यकता को पूरा न कर शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां स्कूलों में पदस्थ समस्त शिक्षकों को प्रतिदिन अपनी उपस्थिति दोनो समय बायोमेट्रिक अटेंडेंस से लगानी है वहीं दूसरी ओर उन्हीं हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में पदस्थ लिपिक , भृत्य और शिक्षा विभाग के अन्य कार्यालय के कर्मचारियों को इस सिस्टम से अलग क्यों रखा गया है ? क्या उन कार्यालयों के स्टाफ को समय पर उपस्थित होना आवश्यक नहीं है ?यह शिक्षा विभाग की दोहरी नीति को दर्शाता हैं जो सर्वथा अनुचित है। सवाल ये भी पूछा जा रहा है कि बायोमेट्रिक सिस्टम छ.ग.शासन के शिक्षा विभाग के स्कूल,,बी ई ओ, डी ई ओ कार्यालय में भी लागू किया जाय क्योकि एक शिक्षक छुट्टी लेकर अपने उच्च कार्यालय में पहुँचता है,तो पता चलता है, की उनकी उपस्थिति के बाद लिपिक व अधिकारी बिना सूचना के गायब है।

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