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छत्तीसगढ़: बुलबुल से होगी बारिश…आसमान में छाए बादल…फसलों में कीट की आने लगी समस्या…

कवर्धा। जिले के मौसम में परिवर्तन शुरू हो गया है। शनिवार को दिनभर आसमान में बादल छाए रहे। इसके पीछे का कारण ‘बुलबुल’ सक्रिय हो रहा है। यह एक तूफान है, जो हिंद महासागर में बन रहा है।

इस तूफान के 8-9 नवंबर को विशाखापट्टनम के समुद्री तट से टकराने का पूर्वानुमान है। इस तूफान का सबसे ज्यादा असर विशाखापट्टनम और पड़ोसी जिलों में होगा। इसका प्रभाव जिले में देखने को भी मिल रहा है। इस तूफान के बारे में केंद्रीय मौसम विज्ञान विभाग नजरें जमाए हुए है। आने वाले दिनों में तूफान को लेकर अलर्ट जारी करेगा।

जानकारी के मुताबिक अभी एक सायक्लोन,जिसे ‘महा’ नाम दिया गया है, वह अरब सागर में सक्रिय है। इसका कोई असर छत्तीसगढ़ में नहीं पड़ रहा है। इसके पीछे-पीछे ही ‘बुलबुल’ सक्रिय हो रहा है। बदले मौसम के साथ किसानों को अपने फसलों की चिंता सताने लगी हैं। जिले में सबसे ज्यादा धान की फसल बोई गई है। इसमें भी किट पंतग लगने शुरू हो गए है।



जल्द पकने वाले धान को ज्यादा खतरा
धान की फसल पकने के कगार पर है, लेकिन कीट प्रकोप एवं आश्विन माह में सावन भादो की तरह हो रही बारिश से किसान चिंतित हैं। जिले में इस बीते दो माह से लगातार पांच से 10 दिन के भीतर बारिश हुई है। लेकिन अभी के मौसम में बारिश हुई तो जल्द पकने वाले धान को ज्यादा नुकसान होते दिख रहा है।

वहीं कहीं-कहीं मूसलाधार बारिश एवं तेज हवा से किसानों पर मुसीबत बरपा रही है अर्ली वैरायटी धान को ज्यादा नुकसान होगा। कई किसान जो कम समय में पकने वाली धान लगाते हैं इस समय लगातार हो रही बारिश से उन किसानों के धान खराब होने की संभावना बढ़ गई है।

मौसम की मार के चलते किसान पके हुए धान की फसल को भी नहीं काट पा रहे हैं। बारिश से खेतों में पानी भर गया है किसान बार-बार खेतों के पानी की निकासी के लिए कोशिश में लगे हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश से खेत में पुनः जलभराव की स्थिति निर्मित हो रही है। ऐसी स्थिति में पके हुए धान को सबसे ज्यादा खतरा दिख रहा है।
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दोहरी मार झेल रहे किसान
किसान पके हुए धान को काटने की तैयारी में है, लेकिन चाह कर भी धान नहीं काट पा रहे यदि किसी तरह धान काट भी ली जाए तो बारिश होने से साल भर की मेहनत खराब हो जाएगी। वहीं धान को नहीं काटने से कीट प्रकोप का खतरा है।

इस समय धान की फसल को बारिश की जरूरत नहीं है। इस समय धान की खड़ी फसल को कीट प्रकोप से खतरा बना हुआ है। कटुआ एवं माहों से किसान परेशान है। कई किसानों को इस समय खेतों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हुए देखा जा सकता है।



कृषि विभाग के अधिकारी नदारद
किसानों ने बताया कि वे प्रतिवर्ष एक दूसरे किसानों से सलाह लेकर ही खेतों में कीटनाशक दवा का प्रयोग करते हैं। कृषि विभाग के अधिकारी न तो कभी मिलते हैं न ही वह खेतों की तरफ दिखाई देते हैं। कई बार किसानों को उचित सलाह नहीं मिलने से फसल एवं पैसे की बर्बादी होती है।

फसल खराब हुए तो गिरदावरी रिपोर्ट ही बनेंगे एक आधार
इस वर्ष राज्य सरकार ने गिरदावरी रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैं। यह रिपोर्ट राजस्व शाखा द्वारा बनाया जा रहा है। जानकारी अनुसार रिपोर्ट बनकर तैयार भी हो गया है। लेकिन आने वाले समय में समस्या यह आ सकती है कि ऐसी मौसम रहा।

और फसलों को नुकसान हुआ तो रिपोर्ट फिर से बनाया जाएगा। ऐसे में मुआवजा के लिए किसानों को इंतजार करना पड़ सकता है। जिले के करीब 900 गांव का गिरदावरी रिपोर्ट बनाया गया है।

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