सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की अफवाहों ने 20 मई से अब तक करीब 14 लोगों की जान ले ली है। इन अफवाहों पर लोगों ने विश्वास करके भीड़ के रूप में पीडि़त लोगों पर हमला किया और उन्हें पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ऐसे मैसेज और वीडियो पर विश्वास नहीं करने के लिए कहा है।
बीते कुछ समय पर निर्दोष लोगों पर संदेह करने और उन्हें प्रताडि़त करने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पिछले महीने ऐसी खबरें मीडिया में भी अलग-अलग राज्यों से आई हैं। भीड़ द्वारा किसी को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार देने को मॉब लिंचिंग नाम से भी जानते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ समय में मॉब लिंचिंग की घटनाएं पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और ओडिशा से सामने आई हैं।
मॉब लिंचिंग की सबसे ताजा घटना त्रिपुरा से सामने आई है। यहां 28 जून को संदेह होने पर दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। पहली घटना में एक शख्स की हत्या हुई और लोग घायल हुए जबकि दूसरी घटना में राज्य सरकार द्वारा सेवा पर रखे गए सामाजिक कार्यकर्ता सुकांता चक्रबॉर्ती की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। सुकांता को त्रिपुरा सरकार ने इसलिए नौकरी पर रखा था कि वह लोगों को सोशल मीडिया की अफवाहों को लेकर जागरूक कर सकेंगे। सोशल मीडिया में जो अफवाएं फैलती हैं उनमें बाहरी लोगों को निशाना बनाया जाता है। उन्हें बच्चा चोर तक का नाम दे दिया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता सुकांता की जिस तरह से हत्या की गई उससे समझा जा सकता है कि दूर दराज में बसे लोगों को अफवाहों के प्रति जागरूक करना अधिकारियों के लिए कितना मुश्किल है। ताजा घटना को लेकर त्रिपुरा के डीजीपी ने सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों को जिम्मेदार ठहराया है।
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