VIDEO: हल्की बारिश में ही बह गया पुलिया, पहले भी बह चुके हैं दो एनिकट, कांग्रेस ने दी आंदोलन की चेतावनी

बैकुंठपुर, चंद्रकांत पारगीर। कोरिया जिले में गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में मनरेगा और आईएपी के तहत बनाई जा रही 39 लाख की पुलिया का स्लैब हल्की बारिश में ही बह गया। इस सम्बंध में एसडीओ का कहना है प्राकृतिक आपदा से ऐसा हुआ है। काम ठीक हो रहा है। मजदूरी की समस्या है उसे ठीक किया जा रहा है। इधर, मजदूरों की मजदूरी और गुणवत्ताहिन निर्माण कार्य को लेकर पीसीसी सदस्य गुलाब कमरों का कहना है कि क्षेत्रिय विधायक और संसदीय सचिव वन विभाग से सम्बद्ध है, जिसके कारण गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में निर्माण कार्यो में भ्रष्टाचार चरम पर है।
निर्माण के एक माह के अंदर हल्की बारिश में स्लैब का बह जाना ये बताता है कि इन अधिकारियों पर भाजपा जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में 22 जून को बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में सलगवां खुर्द में आईएपी के तहत 39 लाख और मनरेगा के 3 लाख 15 हजार रुपये की लागत से पुलिया के निर्माण कराया जा रहा है। बीते 3 जून को हल्की बारिश में पुलिया के ऊपर लगी एक स्लैब बह गई, साथ मे 60 लकड़ी की सेंट्रिंग प्लेट, 10 लोहे की सेंट्रिंग प्लेट भी बह गया। एक स्लैब के नीचे लगी लकडिय़ां और प्लेट भी बह गई। काम में लगे रामसजीवन, नवल साय ने बताया कि 3 मई को दोपहर 3 बजे के आसपास हल्की बारिश से स्लैब बह गया, जिसके बाद में काम बंद है, उन्होंने बताया कि उनकी मजदूरी बकाया है जो उन्हें न ही दी जा रही है।
नही मिल रही है मजदूरी
इस पुलिया में काम कर रहे मजदूरों की मानें तो उन्हें मजदूरी के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा है। ज्यादातर मजदूरों की टीम सप्ताह की मजदूरी नहीं मिली है। मनरेगा एक्ट में 3 माह के अंदर मजदूरी देना अनिवार्य है, इधर जिला प्रशासन ने समय पर मजदूरी नहीं देने पर अपने जेब से मजदूरी देने को कहां है ऐसे में संचालक अब रेंज अफसर को मजदूरी देने को कह रहे हंै। ग्रामीण बताते है कि सलगवांखुर्द में निर्माणाधीन पुलिया में जंगल गिट्टी लगाई जा रही है, पुलिया में 8 एमएम की छड़ लगाई गई है।
पहले भी बह चुके है दो एनिकट
जानकारी के अनुसार गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में गिधेर में बने 28 लाख और कछाड़ी में 22 लाख के लागत से बने दोनों एनिकट बारिश में बह गए थे, दोनो की जांच हुई, जांच में लापरवाही उजागर भी हुई, परंतु अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, वही राज्य शासन ने पार्क संचालक का स्थानांतरण कर दिया बाद में सी एम हाउस की लंबी पहुंच के कारण उनका स्थानांतरण रद्द कर उन्हें यही पदस्थ कर दिया गया।
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