उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की एक मां और बेटी की यह कहानी बड़ी संजिदा है। जिले का नसेनी गांव इनकी कहानी बयां कर रहा है। 15 साल पहले इसकी शुरुआत होती है जब इस महिला के पति की मौत हो जाती है। पति की मौत के बाद ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया था। तब उसकी बेटी की उम्र महज छह महीने थी। बेसहारा महिला एक नन्ही जान के साथ अपने हक के लिए कहां-कहां नहीं भटकी। लेकिन उसकी फरियाद सुनने वाला कोई न था। सिर ढकने के लिए जब कोई छत न मिली तो इस महिला ने गांव के ही एक कुंए में शरण ले ली। इस बात को 15 साल गुजर चुके हैं और यह महिला अब भी यहीं रह रही है। कुएं को आशियाना बनाकर रहने वाली यह विधवा दलित महिला 15 सालों से अपनी बेटी के साथ यहीं रह रही है। इस कारण गांव के ग्रामीण उसे अब कबूतरी नाम से पुकारने लगे हैं। मूलरूप से मध्य प्रदेश के अजयगढ़ संभाग के पांडेपुरवा की रहने वाली दलित महिला छोटी के पति की मौत के बाद उसके ससुरालीजनों ने उसे घर से निकाल दिया था। उसने अपनी छह माह की बेटी के साथ नरैनी तहसील के नसेनी गांव में शरण ली और एक कुंए को घर बनाकर रहने लगी।
उसकी बेटी रोशनी अब 15 साल की हो गई है। उसे सरकार से आधार कार्ड भी मिला है, जिसमें पता कुआं वाला घर लिखा है। छोटी को कुछ साल पहले आवासीय भूखंड का पट्टे पर दिया गया था, लेकिन यह भूखंड कब्रिस्तान के बिल्कुल बगल में होने की वजह से वह वहां घर नहीं बना सकी। ग्राम प्रधान से लेकर अधिकारियों की चौखट तक फरियाद लेकर पहुंची लेकिन कोई हल न निकला। ऐसे में उसने यह कुआं ही आशियाना बना लिया। उसकी बेटी रोशनी पढ़ाई भी कर रही है, उसकी किताबें और बस्ता भी कुआं वाले घर में रखे हुए हैं। इसी में घर-गृहस्थी का पूरा सामान भी है। यह महिला दो वक्त की रोटी का इंतजाम मेहनत-मजदूरी से करती है। जिलाधिकारी कहते हैं उन्हें इस महिला के बारे कोई सूचना ही नहीं थी। अब पता चला है तो अधिकारियों की टीम भेज कर जांच कराउंगा और महिला की हर संभव मदद करूंगा।
यहाँ भी देखे – भारत की जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों को अपना नागरिक मानने से पाक का इंकार, भारत सरकार के सामने बड़ा संकट
Add Comment