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पाकिस्तान में सरकारी नौकरी, बताना होगा धर्म, कट्टरपंथियों की बड़ी जीत

खत्म-ए-नबुव्वत में विवादित बदलाव से जुड़े एक केस में आदेश पारित इस्लामाबाद। पाकिस्तान की उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि किसी सार्वजनिक पद को संभालने जा रहे व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था घोषित करनी होगी। इस आदेश को मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की बड़ी जीत माना जा रहा है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के जज शौकत अजीज सिद्दीकी ने निर्वाचन कानून 2017 में खत्म-ए-नबुव्वत में विवादित बदलाव से जुड़े एक केस में यह आदेश पारित किया है।


खत्म-ए- नबुव्वत इस्लामी आस्था का मूल बिंदू है जिसका मतलब यह है कि मोहम्मद आखिरी पैगंबर हैं और उनके बाद कोई और पैगंबर नहीं होगा। जज ने कहा कि यदि कोई पाकिस्तानी नागरिक सिविल सेवा, सशस्त्र बल या न्यायपालिका में शामिल होने जा रहा होता है तो उसके लिए अपनी आस्था के बाबत शपथ लेना अनिवार्य है। सिद्दीकी ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा, सरकारी संस्थाओं में नौकरियों के लिए अर्जियां देने वालों को एक शपथ लेनी होगी, जिससे सुनिश्चित हो कि वह संविधान में मुस्लिम एवं गैर-मुस्लिम की परिभाषा का पालन करता है। जज सिद्दीकी ने इस मामले की सुनवाई तब शुरू की थी जब कुछ कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने पिछले साल नवंबर में शपथ में बदलावों के खिलाफ राजधानी इस्लामाबाद की तरफ जाने वाले एक प्रमुख राजमार्ग को जाम कर दिया था. सरकार की ओर से कानून मंत्री जाहिद हमीद को बर्खास्त करने के बाद कट्टरपंथियों ने प्रदर्शन खत्म किया था।

यह भी देखें – मुस्लिम को पाकिस्तानी कहने पर जेल की सज़ा

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