छत्तीसगढ़

सुकमा: लक्ष्मीनाथ ने उन्नत कृषि को अपनाकर बढ़ाया समृद्धि की ओर कदम… शेडनेट में खीरा और सब्जियों की खेती से हर माह हो रही 40 हजार रुपए से अधिक की आमदनी…

सुकमा: विकासखण्ड मुख्यालय छिंदगढ़ से पुजारीपाल की ओर जाती कच्ची सड़क में जंगल को पार करने के बाद पतिनाईकरास की सीमा पर शेडनेट और टेक हाउस से सुसज्जित एक खेत बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचती है। यह खेत है यहां के निवासी लक्ष्मीनाथ बघेल की, जो  उन्नत कृषि को अपनाकर समृद्धि की ओर कदम बढ़ा चुके हैं।

कभी पेंदाखेती के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में आधुनिक कृषि किसी आश्चर्य से कम नहीं है, मगर लक्ष्मीनाथ जैसे युवाओं ने आधुनिक कृषि को अपनाकर न केवल स्वयं समृद्धि की राह पर कदम बढ़ाया है, बल्कि क्षेत्र के युवा कृषकों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक बने हैं।

लाॅक डाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के धीमे होने से लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, वहीं इन परिस्थितियों के बीच भी लक्ष्मीनाथ अब खेती किसानी से ही हर माह 40 से 45 हजार रुपए की आमदनी कर रहे हैं। लगभग 15 एकड़ भूमि के मालिक लक्ष्मीनाथ ने लगभग चार-पांच वर्ष पूर्व उन्नत कृषि को कदम रखा और अब इस पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें उन्नत कृषि के लिए प्रोत्साहित करने में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की बहुत बड़ी भूमिका है। वे अब आधुनिक कृषि का प्रशिक्षण लेने के साथ ही शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।

लक्ष्मीनाथ ने बताया कि उन्होंने लगभग 7.5 एकड़ भूमि में फेंसिंग करवाया है वहीं एक एकड़ भूमि में उद्यानिकी विभाग के सहयोग से शेडनेट भी बनाया है। शेडनेट की कीमत लगभग 28 लाख रुपए है। इसके साथ ही उन्होंने फसल और खाद रखने के लिए उद्यानिकी विभाग के सहयोग से ही कृषि उत्पाद एवं खाद आदि रखने के लिए टेक हाउस भी बनाया है। शेडनेट में लगभग आधे एकड़ में खीरा लगाए जाने की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि प्रतिदिन लगभग डेढ़ हजार रुपए का खीरा वे बेच रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने भिंडी और बरबट्टी, लाल भाजी, चेंच भाजी की फसल भी ली।

सुकमा से लेकर तोंगपाल तक उनके सब्जियों की मांग है, वहीं कई ग्राहक गांव में ही आकर उनसे सब्जियां खरीदते हैं। सब्जियों के साथ ही उन्होंने इस बार गर्मियों में धान और मूंग की फसल भी ली। लक्ष्मीनाथ ने इस साल केले की खेती भी शुरु कर दी है। उन्होंने मछलीपालन के लिए डबरी भी खुदवाई और सोलर सिंचाई पम्प से उसमें जलभराव करते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष से मछलीपालन भी शुरु कर दिया है। उन्होंने बताया कि वे डबरी का गहरीकरण कर बेहतर ढंग से मछलीपालन करने की योजना है।

लक्ष्मीनाथ इसके साथ ही धान की फसल भी ले रहे हैं और इस वर्ष उन्होंने 200 क्विंटल धान भी बेचा है। लक्ष्मीनाथ ने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अधिक उपज प्राप्त की है और वे अपने कार्य को लगातार बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। वे क्षेत्र के युवा कृषकों को भी अपने अनुभव साझा करते हुए उन्नत कृषि के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। अपने दस वर्षीय बेटे को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही खेती किसानी में भी माहिर बनाना चाहते हैं।

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