चंद्रकांत पारगीर, बैंकुठपुर। डिजीटल हस्ताक्षरित बी वन में चोहद्दी बनाकर पटवारी के रूप में हस्ताक्षर कर कूटरचना के 1250 हेक्टेयर भूमि के मामले मेें सिटी कोतवाली ने अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। मामले में वन विभाग के पूर्व एसडीओ लक्ष्मण सिह की पत्नि माधुरी सिंह, सेवानिवृत्त पटवारी रामनारायण जायसवाल और बीरेन्द्र चन्द्र को आरोपी बनाया गया है। पुलिस के द्वारा दर्ज एफआईआर में बताया गया है कि तहसीलदार बैकुंठपुर के निर्देश पर तत्कालिन सेवानिवृत पटवारी रामनारायण जायसवाल, बीरेन्द्र चन्द्र, स्व. बुधराम जाति बसोर एवं माधुरी सिंह ने मिलकर पटवारी योगेश गुप्ता के डिजिटल हस्ताक्षरित बी-1 में सेवानिवृत्त पटवारी रामनारायण जायसवाल के द्वारा चौहद्दी बनाकर पटवारी के रूप में हस्ताक्षर कर कूटरचना करते हुये कूटरचित दस्तावेज के आधार पर ग्राम मेको स्थित भूमि खसरा नम्बर 5/6 रकबा 1.250 हेक्टेयर, जो राजस्व अभिलेख में दिलकुंवर बेवा सोमारसाय जाति बसोर के नाम से दर्ज है, का पंजीकृत विक्रयपत्र तैयार कर बीरेंद्र चन्द्र के द्वारा क्रेता माधुरी सिंह के पक्ष में कर लिया गया। जिसके बाद न्यायालयीन पत्र के आधार पर आरोपीगण रामनारायण जायसवाल, बीरेन्द्र चंद्र एवं माधुरी सिंह धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। बैकुंठपुर टीआई रविन्द्र अनंत का कहना है तहसीलदार के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कर ली गयी है और दस्तावेज की जांच की जा रही है। इसके बाद कार्यवाही की जाएगी।
तहसीलदार ने थाना प्रभारी को भेजे अपने न्यायालयीन पत्र में बताया कि भुइयां साफ्टवेयर में उप-पंजीयक कार्यालय, बैकुण्ठपुर में पंजीकृत विक्रय विलेख की प्रति ऑनलाइन प्राप्त होती है। ऑनलाइन प्राप्त विक्रय विलेख के अवलोकन के दौरान तहसीलदार को ज्ञात हुआ 9 फरवरी को ग्राम मेको स्थित भूमि खसरा नम्बर 5.6 रकबा 1.250 हेक्टेयर भूमि, जो राजस्व अभिलेख में दिलकुंवर बेवा सोमारसाय जाति बसोर के नाम से दर्ज है, का पंजीकृत विक्रयपत्र का निष्पादन मुख्तार आम बीरेंद्र चन्द्र आ. स्व. बुधराम जाति बसोर निवासी ग्राम चेर तहसील बैकुण्ठपुर के द्वारा क्रेता माधुरी सिंह पति लक्ष्मण सिंह के पक्ष में किया गया है। उक्त विक्रय पत्र में संलग्न फर्म बी-1 किस्तबंदी खतौनी (आसामीवार) में पटवारी के रूप में रामनारायण जायसवाल के हस्ताक्षर हैं तथा चौहद्दी अंकित किया गया है, जबकि रामनारायण जायसवाल पूर्व में ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा विक्रयपत्र में संलग्न दिनांक 28 दिसम्बर 2017 को योगेश गुप्ता के डिजिटल हस्ताक्षरित बी-1 में चौहद्दी बनाकर पटवारी के रूप में रामनारायण जायसवाल का हस्ताक्षर कराया गया। रामनारायण जायसवाल उक्त अवधि में तथा पिछले कई वर्षो से ग्राम मेको के पटवारी नहीं थे। अत: प्रथम दृष्टया जानबुझकर किसी अन्य व्यक्ति से पटवारी के रूप में हस्ताक्षर कराया गया है तथा उसके आधार पर विक्रयपत्र निष्पादन किया गया है। जो आपराधिक षडय़ंत्र एवं कूटरचना की श्रेणी में आता है तथा भारतीय दंड विधान के अनुसार दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। कारण बताओ नोटिस जारी तहसीलदार ने जानकारी मिलते ही सभी कारण बताओ नोटिस जारी किया। नियत तिथि को दिल कुंवर बेवा सोमारसाय और माधुरी सिंह पति लक्ष्मण सिंह को नोटिस तामिल होने के पश्चात भी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुये। अत: उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किया गया। पटवारी रामनारायण जायसवाल एवं बीरेन्द्र चंद्र द्वारा कारण बताओ नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया गया।
पटवारी रामनारायण जायसवाल पूर्व में ग्राम मेको के पटवारी रह चुके हैं तथा कूटरचित बी-1 लिखे गये टीप एवं चतुरसीमा चौहद्दी से स्पष्ट होता है कि यह कूटरचना रामनारायण जायसवाल द्वारा किया गया है। इसके अतिरिक्त कूटरचित बी-1 में उनके हस्ताक्षर तथा सील भी है। कूटरचित बी-1 में प्रथम दृष्टया हस्ताक्षर श्री रामनारायण जायसवाल के ही लगते हैं तथा चौहद्दी भी उन्हीं के द्वारा बनाया जाना प्रतीत होता है। अत: पटवारी रामनारायण जायसवाल का जवाब स्वीकार करने योग्य नहीं है। प्रथम दृष्टया उक्त कूटरचित दस्तावेज में रामनारायण जायसवाल के द्वारा चौहद्दी बनाया जाना एवं हस्ताक्षर किया जाना प्रतीत होता है। इसी प्रकार अनावेदक बीरेन्द्र चंद्र का भी हस्ताक्षर कूटरचित बी-1 में है। अत: यह कहा जा सकता है कि अनावेदक बीरेन्द्र चंद्र द्वारा रामनारायण जायसवाल से मिलकर उक्त बी-1 में हस्ताक्षर कराकर उक्त कूटरचित दस्तावेज तैयार कराया गया है तथा स्वयं उसमें हस्ताक्षर किया गया है। माधुरी सिंह को भी ज्ञात था कि उक्त समय में रामनारायण जायसवाल ग्राम मेको के पटवारी नहीं थे तथा ग्राम मेको के पटवारी योगेश गुप्ता थे। फिर भी यह जानते हुये कूटरचित दस्तावेज के आधार पर पंजीकृत विक्रयपत्र का निष्पादन अपने पक्ष में कराया गया। जो अपराध की श्रेणी में आता है। माधुरी सिंह के पति लक्ष्मण सिंह पूर्व में इस जिले में वन विभाग के अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके हैं। अत: यह प्रतीत होता है कि लक्ष्मण सिंह द्वारा अपने नाम एवं पहचान का गलत प्रयोग करते हुये उक्त कूटरचित दस्तावेज तैयार करवाया जाना प्रतीत होता है तथा उसके आधार पर अपनी पत्नी माधुरी सिंह के पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित करवाया गया। अत: माधुरी सिंह इस कूटरचना के लिये समान रूप से है।
यहाँ भी देखे – मुसलमान 15 को निकालेंगे रैली, नारा दिया दीन बचाओं-देश बचाओं
Add Comment