
छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय की स्थापना 2005 से हुई है। तब से यहां 5034 विद्यार्थी बीई कर रहे थे। हर साल उनका किसी न किसी पेपर में बैक लग रहा था। कोरोना काल में कक्षाएं नहीं लगी और ऑनलाइन परीक्षा ली गई। इसमें विद्यार्थियों को किताब देखकर सवालों के जवाब लिखने का मौका मिला।
इसका लाभ इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को मिला। करीब 16 साल बाद यह विद्यार्थी इंजीनियर बन गए हैं। 2 सितंबर से 20 नवंबर तक विभिन्न सेमेस्टर के नतीजे जारी किए जा रहे हैं। लंबे समय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वालों में लड़कों का प्रतिशत 88.42 है तो लड़कियों का प्रतिशत 11.58। लंबे समय से डिग्री करने वाले विद्यार्थियों में सिर्फ बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग करने वाले ही विद्यार्थी नहीं हैं, बल्कि इसमें बेचलर ऑफ फार्मेसी, डिप्लोमा इन फार्मेसी, बेचलर ऑफ टेक्निक समेत डिप्लोमा के भी विद्यार्थी हैं। इनमें से अधिकांश विद्यार्थी 2005 से सीएसवीटीयू से संबद्ध इंजीनियरिंग या फार्मेसी में पढ़ाई कर रहे थे। उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी।
2 सितंबर से जारी हो रहे हैं सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणाम
सबसे पहले आठवें सेमेस्टर के नतीजे किए जारी
सीएसवीटीयू ने कोरोना काल को देखते हुए परिणाम जारी करने की प्रक्रिया को बदला। पहले परीक्षा के अनुसार परिणाम जारी होते थे, लेकिन इस बार पहले आठवें सेमेस्टर की परीक्षा ली। फिर परीक्षा में शामिल होने वाले सभी विद्यार्थियों के बैकलॉग समेत पिछले अन्य सभी सेमेस्टर के नतीजे जारी कर दिए गए हैं।
तीन चरणों में जारी किए गए सेमेस्टर के नतीजे
2 सितंबर से लेकर 20 नवंबर के बीच तीन चरणों में बीई के 8वें से लेकर तृतीय सेमेस्टर बैकलॉग के नतीजे जारी किए गए। इसमें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल कोर ग्रुप समेत कंप्यूटर इंजीनिरिंग, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स, इलेक्ट्रानिक्स एंड टेली कम्युनिकेशन, आर्किटेक्ट, प्लास्टिक आदि शामिल हैं।
सबसे अधिक छात्र 2005 के हैं, जो इस बार पास हुए
प्रत्येक बैच 4 साल का होता है। इसमें सबसे पुराना बैच 2005 का है। इसमें 1336 विद्यार्थी शामिल हुए थे। इनमें से 1226 शामिल हुए। इनमें सफल होने वाले छात्रों की संख्या 1084 और छात्राओं की संख्या 142 है। इसके अलावा 2009, 2013 और 2018 बैच को मिलाकर 3698 परीक्षार्थी हैं, जो बैकलॉग आते रहे।