सबसे पहला सवाल तो यही है कि ‘वो’ वाली फिल्में यानी एडल्ट कंटेंट हमारे दिमाग पर असर डालता है या नहीं? जवाब है, हां डालता है और ये अच्छा नहीं है. पोर्नोग्राफी देखने की तलब ठीक वैसी है, जैसे किसी ड्रग एडिक्ट को ड्रग्स को लेकर होती है. बार-बार एडल्ट कंटेंट देखने से, दिमाग का वह हिस्सा जो निर्णय लेने और इच्छाशक्ति के लिए जिम्मेदार होता है, वह असल में सिकुड़ने लगता है. आगे जानेंगे कि इस बारे में विज्ञान और क्या कहता है.
हमारा मस्तिष्क एक जैविक कंप्यूटर (Biological computer) है, जिसमें अरबों न्यूरॉन्स सूचनाओं को प्रोसेस करते रहते हैं, ये आपके शरीर को नियंत्रित करते हैं. आपकी भावनाओं को आकार देते हैं. दिमाग के केमिकल्स एक साथ काम करते हैं. आपको खुशी, दर्द और इस तरह की कई भावनाओं का अनुभव कराते हैं.
तीन तरीकों से एडल्ट कंटेंट हमारे दिमाग को प्रभावित करता है
जब एडल्ट कंटेंट देखते हैं, तो दिमाग अलग तरह से काम करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, मस्तिष्क में काम करने वाले केमिकल 3 तरह से प्रभाव डालते हैं-
1. एडल्ट कंटेंट की छवियां दिमाग पर छप जाती हैं
दिमाग इस तरह से डिजाइन्ड है कि ये महत्वपूर्ण स्थितियों और घटनाओं को याद रख सके. एडल्ट कंटेंट देखते समय भी दिमाग को ये सिग्नल मिलता है कि कुछ महत्वपूर्ण हुआ है. नतीजा ये होता है कि एडल्ट कंटेंट देखने के काफी समय बाद भी मस्तिष्क पर उसकी छवि बनी रहती है. बहुत से लोग जिन्होंने एडल्ट कंटेंट देखना छोड़ दिया है, उनके दिमाग में अब भी उस समय की छवियां अंकित हैं. ऐसा नॉरपेनेफ्रिन, ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन की वजह से होता है, जो मेमोरी बनाने पर काम करते हैं. इससे दिमाग में ऐसी छवियों की एक लाइब्रेरी बन सकती है जिसे आप मिटा नहीं सकते. वायर्ड फॉर इंटिमेसी के लेखक न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. विलियम स्ट्रूथर्स इसे न्यूरोलॉजिकल टैटू (Neurological tattoo) कहते हैं, जिसे न तो भुलाया जा सकता है और न मिटाया.
2. दिमाग एडल्ट कंटेंट से जुड़ता है, व्यक्ति से नहीं
सेक्स करने से आप किसी व्यक्ति से जुड़ते हैं, जबकि एडल्ट कंटेंट के मामले में जुड़ाव किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि काल्पनिक अनुभव से होता है. दिमाग को यह पता होता है कि आपको कहां सबसे अच्छा यौन अनुभव हुआ था. हर बार जब आपको यौन इच्छा होती है, तो आपको पता होता है कि आपको क्या देखना है.
इसके अलावा, एडल्ट कंटेंट दिमाग को एक अप्राकृतिक उन्माद का अनुभव करता है. नतीजा ये होता है कि रोज़-रोज़ ऐसा करने से उत्साह खत्म हो जाता है. व्यक्ति पहले की तरह आनंद पाने के लिए पहले से भी बेहतर कुछ देखना चाहता है. दिमाग में इस तरह के असंतुलन से कई परेशानियां होती हैं. जैसे- अपने साथी के साथ निष्क्रिय रहना, बार-बार मास्टरबेट करना और कम संतुष्टि पाना, चिंता, थकान, और ज़्यादा एडल्ट कंटेंट की इच्छा करना.
3. इससे दिमाग सिकुड़ता है
हां, ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन एडल्ट कंटेंट देखने वालों का दिमाग वास्तव में, सामान्य से छोटा होता है. कैम्ब्रिज न्यूरोसाइकायट्रिस्ट वैलेरी वून (Valerie Voon) की रिसर्च के मुताबिक, इसके आदी लोगों का दिमाग शराबियों के दिमाग से काफी मिलता है. वेंट्रल स्ट्रिएटम (Ventral striatum) नाम का ब्रेन स्ट्रक्चर, मस्तिष्क को आनंद देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह मस्तिष्क का वही हिस्सा है जो तब तुरंत एक्टिव हो जाता है, जब कोई शराबी शराब की तस्वीर देखता है.
वहीं, डॉ विलियम स्ट्रूथर्स (Dr. William Struthers) का कहना है कि पोर्नोग्राफी देखकर मास्टरबेट करना असल में हमारे मस्तिष्क के सिंगुलेट कॉर्टेक्स (Cingulate cortex) को कमजोर करता है. यह वो हिस्सा है जो नैतिक और आचार संबंधी निर्णय लेने और इच्छाशक्ति के लिए जिम्मेदार होता है. इसके कमजोर होने से एडल्ट कंटेंट देखना व्यक्ति को ज़रूरी लगता है. ऐसा होने पर, व्यक्ति का व्यवहार खतरनाक हो सकता है. ऐसे में वह काम पर भी एडल्ट कंटेंट देखेगा, इल्लीगल एडल्ट कंटेंट की तरफ रुख करेगा या अन्य तरीकों से अपनी यौन इच्छा शांत करेगा.
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