बिहार: विश्व के सबसे बड़े रिवर क्रूज गंगा विलास को इस साल 13 जनवरी को वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. अब कुछ दिनों की यात्रा के बाद ये क्रूज जब बिहार के सारण पहुंचा तो इसे वहां पर किनारे पर खड़ा करने की तैयारी थी. लेकिन किनारे पर पानी कम रहा, इस वजह से ऐसा संभव नहीं हुआ. सोशल मीडिया पर ये खबर चलने लगी कि क्रूज पानी मे फंस गया है और इस वजह से तमाम तरह की अटकलें लगाई गईं और ट्रोलिंग का दौर शुरू हो गया. लेकिन अब इस पूरी घटना की सच्चाई सामने आ गई है.
अटकलों के बीच सच्चाई जानिए
असल में सारण में जहां इस क्रूज को खड़ा करना था, वहां किनारे पर काफी कम पानी था. गहरा पानी नहीं होने के काऱण छोटे बोट से सैलानियों को किनारे तक लाया गया था. बड़ी बात ये है कि कोई क्रूज पानी में फंसी नहीं थी, ऐसा भी नहीं था कि वो खराब हुई थी. सिर्फ क्योंकि किनारे पर पानी ज्यादा नहीं था, इस वजह से इतनी बड़ी क्रूज का वहां तक पहुंचना संभव नहीं था. इसलिए वहां पर छोटी नाव का इंतजाम किया गया और उससे सभी सैलानियों को किनाने पर लाया गया. IWAI के चेयरमेन संजय बंदोपाध्याय ने कहा कि गंगा विलास क्रूज पटना अपने समय पर पहुंची थी. इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि ये छपरा में फंस गई थी. आगे भी इस क्रूज की यात्रा तय प्रोग्राम के तहत चलती रहेगी. जानने वाली बात ये है कि जब जमीन पर जा आजतक ने उन सैलानियों से बात की तो उनकी खुशी देखने लायक थी. सोशल मीडिया पर जो भी अटकलें चल रही थीं, उससे इतर वो लोग काफी उत्साहित थे, भारत की संस्कृति देख खुश हो रहे थे.
बातचीत के दौरान स्विस महिला ने कहा कि वे यहां आकर बहुत खुश हैं. यहां के लोग, यहां का भोजन सबकुछ बहुत बढ़िया है. हम लोगों को यहां बुलाया, इसके लिये सभी को बहुत बहुत धन्यवाद . अब चिरांद के अवशेष और आसपास के ग्रामीणों से मिलने के बाद सभी सैलानी वहां से पटना के लिए निकल लिए थे. ग्रामीणों से मुलाकात कर वे काफी खुश थे, उन्होंने कई बार उनका अभिवादन स्वीकार किया था.
क्या है ये गंगा विलास क्रूज?
गंगा विलास क्रूस की बात करें तो इस क्रूज के द्वारा सैलानी 27 नदियों के मार्गों से होते हुए मुख्य तीन नदियां गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों से होकर गुजरेगी. क्रूज बंगाल में गंगा की सहायक और दूसरे नामों से प्रचलित भागीरथी, हुगली, विद्यावती, मालटा, सुंदरवन रिवर सिस्टम के रास्ते बांग्लादेश में मेघना, पद्मा, जमुना और फिर भारत में ब्रह्मपुत्र से असम में प्रवेश करेगी.इस क्रूज की यात्रा ऐसे सभी स्थलों से गुजरेगी जो विश्व विरासत में शामिल हैं. साथ ही जिन-जिन शहरों के पास से गुजरेगी वहां के स्थानीय महत्व वाले जगहों पर भी सैलानियों को घुमाने की कोशिश की जाएगी. लगभग 51 दिनों की लंबी यात्रा में सैलानियों को बोरियत नहीं महसूस हो इसका भी प्रबन्ध किया गया है. क्रूज़ पर गीत-संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही जिम आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है.
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