धार्मिक शास्त्रों में 16 संस्कारों का बड़ा महत्व बताया गया है. इनमें सबसे अंत का संस्कार अंतिम संस्कार होता है. अंतिम संस्कार में पंचतत्व से निर्मित देह को पंचतत्व में विलीन किया जाता है. व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की क्रिया शुरू होती है, जिसमें कुछ रस्में निभाई जाती हैं. मृत्यु के बाद व्यक्ति की अंतिम यात्रा निकाली जाती है और श्मशान में दाह संस्कार किया जाता है. श्मशान में मृत शरीर को पंचतत्व में विलीन किया जाता है. श्मशान से लौटने के बाद सभी लोग स्नान करने के बाद ही घर में प्रवेश करते हैं. इसे लेकर शास्त्रों में कुछ बातें उल्लेख हैं. तो चलिए जानते हैं श्मशान से आने के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
पीछे मुड़कर न देखना
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि मृत्यु से संबंधित विशेष बातों का उल्लेख गरुड़ पुराण में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि दाह संस्कार के बाद व्यक्ति की आत्मा मोह वश अपने घर लौटना चाहती है. शवदाह के बाद श्मशान से लौटते वक्त पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. इससे आत्मा का मोहभंग होता है और उसके अंतिम सफर में परेशानी आती है.
स्नान करना और मंदिर जाना
शवदाह क्रिया करने के बाद जितने लोग श्मशान गए थे, उन सभी को मृत व्यक्ति को मोक्ष के लिए तीन लकड़ी दाएं हाथ में और दो लकड़ी बाएं हाथ में लेकर पीछे फेंकना चाहिए. इसके बाद बिना पीछे देखे श्मशान से लौटना चाहिए और घर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना चाहिए और फिर मंदिर जाकर प्रार्थना करनी चाहिए. इसके बाद लोहा, अग्नि, जल और पत्थर स्पर्श करने के बाद घर में प्रवेश करना चाहिए.
दीपक जलाना
मान्यता है कि मृत्यु के बाद 12 दिन तक आत्मा घर में ही रहती है, इसलिए कम से कम 11 दिन तक मृत व्यक्ति के नाम एक दीप घर के बाहर दान करना चाहिए. इससे आत्मा को शांति प्राप्त होती है. मृत व्यक्ति को मोक्ष के लिए परिजनों को पिंडदान करना भी आवश्यक होता है. बिना पिंडदान के जीवात्मा को काफी कष्ट भोगने पड़ते हैं. इसलिए पितृ पक्ष के दौरान मृत व्यक्ति का पिंडदान करना चाहिए.
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