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कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए आज होगा मतदान, कर्नाटक में खड़गे तो केरल में थरूर डालेंगे वोट…

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में आज मतदान होने जा रहा है. वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुख्य मुकाबला है. सुबह 10 बजे से वोटिंग शुरू हो जाएगी और शाम 4 बजे खत्म होगी. इस चुनाव में 9000 से ज्यादा कांग्रेस डेलिगेट्स वोट कर सकेंगे. देशभर में 36 मतदान केंद्र बनाए गए हैं और 67 बूथ हैं, इनमें 6 बूथ उत्तर प्रदेश में होंगे. एक बूथ पर 200 वोट डाले जाएंगे. 19 अक्टूबर को मतगणना होगी. कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार चुनावी मुकाबला होने जा रहा है. AICC महासचिव, राज्य प्रभारी, संयुक्त सचिव अपने गृह राज्य या एआईसीसी मुख्यालय में वोट डाल सकते हैं.

कांग्रेस मुख्यालय के साथ-साथ देशभर में मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तरों में वोटिंग होगी. पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सोमवार दोपहर करीब 12 बजे सुबह 24 अकबर रोड यानी कांग्रेस हेडक्वॉर्टर में वोट डालेंगी. जबकि राहुल गांधी समेत 47 डेलिगेट्स कर्नाटक के बेल्लारी में वोट डालेंगे. वे यहां भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं और बेल्लारी के संगनाकल्लू में कैंप स्थल पर वोटिंग करेंगे. थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम में और खड़गे कर्नाटक के बेंगलुरु में मतदान करेंगे.

कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी (CEA) के सदस्य ने बताया कि चुनाव में 36 पोलिंग स्टेशन, 67 बूथ होंगे. इसमें से 6 बूथ यूपी में होंगे. दिल्ली में दो मतदान केंद्र बनाए गए हैं. एक- 24 अकबर रोड पर (एआईसीसी मुख्यालय) और दूसरा- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय. दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के करीब 280 पीसीसी डेलिगेट्स डीपीसीसी कार्यालय में वोट डालेंगे.

कांग्रेस में साल 22 साल बाद अध्यक्ष पद के लिए मतदान
इससे पहले पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार चुनाव साल 2000 में मुकाबला हुआ था. तब जितेंद्र प्रसाद को सोनिया गांधी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था. इस साल सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद को पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर कर लिया है, जिसके कारण 24 वर्षों के बाद गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष बनना तय हो गया है. सोनिया ने 1998 में पार्टी अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था.

प्रत्याशी के आगे लगाना होगा टिक मार्क का निशान
कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव गुप्त मतदान से होगा. किसी को भी ये पता नहीं चल सकेगा कि किसने किसे वोट दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा है कि दोनों उम्मीदवारों के लिए एक समान नजरिया है. मिस्त्री ने बैलेट बॉक्स, बैलेट पेपर और वोट डालने की प्रक्रिया भी बताई. बैलेट पेपर उम्मीदवार के आगे टिक मार्क का निशाना लगाना होगा. उन्होंने बताया कि मतदान के बाद सीलबंद बक्सों को दिल्ली ले जाया जाएगा. वहां एआईसीसी मुख्यालय के एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा और 19 अक्टूबर को मतगणना शुरू होने से पहले मतपत्रों का मिलान किया जाएगा.

गांधी परिवार को किसे समर्थन?
मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार से उनकी कथित निकटता और वरिष्ठ नेताओं के समर्थन की वजह से पसंदीदा माना जा रहा है. जब​​कि शशि थरूर ने खुद को बदलाव लाने वाले उम्मीदवार के तौर पर पेश किया है. हालांकि, दोनों उम्मीदवारों और पार्टी ने साफ किया है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में गांधी परिवार तटस्थ है और कोई ‘आधिकारिक उम्मीदवार’ नहीं है. ना ही किसी को समर्थन दिया गया है. वहीं, दोनों उम्मीदवारों ने इस बात पर जोर दिया है कि वे गांधी परिवार से नजदीकियां बनाए रखेंगे. खड़गे ने कहा कि गांधी परिवार पार्टी में एक विशेष स्थान रखता है तो थरूर ने कहा है कि कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष गांधी परिवार से दूरी बनाकर काम नहीं कर सकता है.

प्रचार अभियान में थरूर ने खड़े किए सवाल
हालांकि, चुनाव प्रचार अभियान में थरूर ने पीसीसी नेताओं के रवैये पर सवाल खड़ा किए हैं. थरूर का कहना था कि कई जगहों पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और सीनियर नेता खड़गे जी को बुला रहे हैं और उनका स्वागत कर रहे हैं. ये सिर्फ एक ही उम्मीदवार के लिए था, मेरे लिए नहीं था. मैं भी कई बार पीसीसी गया हूं, लेकिन वहां कोई अध्यक्ष नहीं था. थरूर ने प्रचार अभियान के दौरान भी साफ कहा है कि वे संगठन में बदलाव लाने के लिए उम्मीदवार हैं. उन्होंने ये भी दावा किया है कि पार्टी का युवा वर्ग उनका समर्थन कर रहा है, जबकि वरिष्ठ नेता उनके प्रतिद्वंद्वी का समर्थन कर रहे हैं.

खड़गे का पीसीसी नेताओं ने किया स्वागत
चुनाव प्रचार अभियान में खड़गे जिन राज्यों में गए हैं, वहां कई वरिष्ठ नेताओं, पीसीसी प्रमुखों और शीर्ष नेताओं को उनका स्वागत करते देखा गया है. खड़गे ने पीसीसी डेलिगेट्स के सामने संगठन में अपने अनुभव के बारे में बता रहे हैं. इसके साथ ही सभी को साथ लेकर चलने का आश्वासन दे रहे हैं.

कैसा है खड़गे और थरूर का पॉलिटिकल करियर?
दोनों नेताओं ना सिर्फ सोच अलग है, बल्कि पृष्ठभूमि और राजनीतिक यात्रा भी अलग है. एक तरफ जमीनी स्तर के राजनेता और गांधी परिवार के कट्टर समर्थक 80 वर्षीय खड़गे हैं तो दूसरी तरफ 66 वर्षीय थरूर हैं. थरूर को मुखर, विद्वान और सौम्य स्वभाव के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही वे अपने मन की बात कहने के लिए भी पहचाने जाते हैं. थरूर डिप्लोमैट रहे हैं और तीन दशकों तक संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम भी किया है. साल 2009 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

राजनीति में 50 साल से ज्यादा अनुभवी नेता खड़गे लगातार 9 बार विधायक चुने गए. खड़गे की पहचान एक दलित नेता के रूप में है. वे 1969 में कांग्रेस से जुड़े और उसी साल गुलबर्ग कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बने. 1972 में पहला चुनाव लड़ा. 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं. हाल में राज्यसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा दिया है. केंद्र की मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे हैं. खड़गे का जन्म बीदर जिले के वरावट्टी में एक गरीब परिवार में हुआ. उन्होंने गुलबर्गा में बीए तक अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की.

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