देश की राजनीति में कभी मुस्लिमों को ट्रंप कार्ड माना जाता था लेकिन 2014 के चुनाव के बाद से जैसे सबकुछ बदल गया. बीजेपी जाति के नाम पर बंटे हिंदुओं को हिंदुत्व के मुद्दे पर लामबंद करने में सफल हुई तो मुस्लिमपरस्त सियासत हाशिए पर पहुंच गई. हालत ये हो गई है कि खुद को सेक्युलर कहने वाली पार्टियां भी मुसलमानों से जुड़े मुद्दे उठाना तो दूर उनके नाम लेने तक से बच रही हैं.
खास बात ये है कि सियासी नजरिये से हाशिये पर पहुंचा दिए गए मुस्लिम समुदाय से अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जुड़ाव की कोशिशें तेज कर दी हैं. हाल के घटनाक्रम से लगता है कि इसकी कमान जैसे खुद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संभाल रखी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत मस्जिद-मदरसे जाकर इमाम-मौलनाओं से मिल रहे हैं और मजार पर जाकर फूल-चादर भी चढ़ा रहे हैं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमाओं के साथ संघ प्रमुख कभी दिल्ली में तो कभी मुंबई में मेल-मुलाकात भी कर रहे हैं.
भागवत का मस्जिद-मजार-मदरसा दौरा
मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाने की पहल के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को मस्जिद, मदरसा और मजार का दौरा किया. अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी के निमंत्रण पर मोहन भागवत दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में पहुंचे और वहां तमाम मौलवियों से मिले.
इस दौरान संघ प्रमुख ने मस्जिद में मरहूम मौलाना डॉ. जमील इलियासी की कब्र पर पहुंचकर फूल भी चढ़ाए. इसके बाद वो पुरानी दिल्ली के बाड़ा हिंदूराव में स्थित मदरसा ताजबीदूल कुरान पहुंचे और छात्रों से संवाद किया.
संघ प्रमुख के साथ सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच व संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार थे. संघ के इन सभी नेताओं ने मौलाना उमर इलियासी के साथ करीब एक घंटे तक बातचीत की, जिसमें हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच आपसी संवाद बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण के लिए साथ-साथ चलने पर जोर दिया गया. इसके बाद उमर इलियासी ने मोहन भागवत को ‘राष्ट्रपिता’ और ‘राष्ट्र-ऋषि’ तक करार दिया. उन्होंने कहा कि भागवत की मस्जिद यात्रा से देश में एक अच्छा संदेश जाएगा.
मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ संघ प्रमुख की बैठक
इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 22 अगस्त को मुसलिम समुदाय के पांच बुद्धिजीवियों से दिल्ली में मुलाकात की. इनमें दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, एएमयू के पूर्व वीसी जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और कारोबारी सईद शेरवानी शामिल थे.
इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने और हिंदू-मुस्लिमों के बीच गहरी हो रही खाई को पाटने की जरूरत पर बल दिया गया था. संघ प्रमुख ने कहा था कि देश की प्रगति के लिए सांप्रदायिक सद्भाव जरूरी है और ऐसी बैठकें होती रहनी चाहिए. मुस्लिम स्कॉलरों को उन्होंने कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार और रामलाल के संपर्क में रहने की सलाह दी.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बताया था कि संघ प्रमुख ने बैठक के दौरान गोहत्या और काफिर (गैर-मुस्लिमों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द) पर चिंता जाहिर की थी. इस बार एसवाई कुरैशी ने कहा कि हमने भागवत से कहा कि हमें भी इस बात पर बहुत दुख होता है जब किसी भारतीय मुसलमान को पाकिस्तानी या जिहादी कहा जाता है. कुरैशी ने कहा कि इस बात को भी हमने रखा कि लगातार मुसलमानों को बदनाम किया जाता है. विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय की आबादी और बहुविवाह की प्रथा के बारे में गलत प्रचार किया जाता है.
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