शहर में शनिवार सुबह से हुई बारिश के कारण दुर्ग, भिलाई और रिसाली क्षेत्र जलभराव की स्थिति निर्मित हो गई। रिसाली के पॉश इलाकों में एक-एक फीट तक पानी भर गया। इस दौरान एनटीपीसी के पीछे लोगों के घरों में पानी घुस गया। इसी तरह रूआबांधा में बारिश थमने के बाद भी देर शाम तक जलभराव की स्थिति बनी रही। वहीं, भिलाई में नेहरू नगर जोन क्षेत्र के तीन वार्डों की करीब आधा दर्जन बस्तियों में पानी भरा रहा।
दूसरी ओर दुर्ग के खंडेलवाल कॉलोनी से गंजपारा मार्ग, महिला समृद्धि बाजार, शंकर नगर, दादा बड़ी, दीपक नगर सहित निचली बस्तियाें में काफी बुरा हाल रहा। टीबी अस्पताल में पानी भरने से दवाइयां गीली हो गईं। स्टाफ व मरीजों को इससे परेशानी हुई।
वाहन चालकों के लिए गुजरना हुआ दूभर
रिसाली क्षेत्र में बारिश थमने के बाद भी एनटीपीसी के पीछे और बीएसपी पंप हाउस से मैत्रीकुंज जाने वाले दोनों मार्ग पर जलभराव की स्थिति बनी रही। सड़कों पर नाले का पानी एकत्रित होने की वजह से पैदल गुजरना तो दूर दो पहिया वाहन चालकों का गुजरना भी दूभर हो गया। मैत्रीकुंज के लोगों का कहना था कि पंपहाउस के पास छोटी पुलिया की सही से सफाई नहीं होने से पूरा इलाका जल मग्न हो गया।
सुपेला और खुर्सीपार के लोग हुए परेशान
भिलाई निगम क्षेत्र के कैंप और खुर्सीपार क्षेत्र में तेज बारिश के दौरान गली-मोहल्लों में पानी भरकर चलने लगता है। हालांकि बारिश थमते ही पानी ड्रेनेज के माध्यम से साफ भी जाता है। लेकिन सुपेला क्षेत्र के तीन वार्डों में पानी एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में घूमता रहा है। लक्ष्मी नगर वार्ड के लोगों ने बताया कि बारिश पड़ते ही पानी सबसे उनके गली-मोहल्लों में एकत्रित होता है।
जो बहकर राजीव नगर और कृष्ण नगर की बस्तियों में पहुंच जाता है। धमधा में भी बारिश से पहले सफाई नहीं होने के कारण सड़कों पर पानी भर गया। इससे लोगों को आने जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
ड्रेनेज की सफाई के लिए दिए निर्देश
इधर कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा, एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने भिलाई निगम के कोसानगर, राधिका नगर, नेहरू नगर, फरीद नगर आदि जलभराव वाले क्षेत्रों में पहुंचे।
निगम अमले से स्थिति की जानकारी ली। लोगों ने बताया कि अत्याधिक बारिश की वजह से कोसा नाला पूरे फ्लो में है और अभी धीरे-धीरे नाले का स्तर उतरने की उम्मीद है। निगम अमले ने वाटर पंप के माध्यम से ड्रेनेज किया है जिससे राहत हुई। कलेक्टर ने कहा कि स्थिति पर नजर रखें। जलस्तर बढ़ने की स्थिति में ड्रेनेज के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करें। साथ ही जरूरत पड़ने पर राहत शिविर ले जाएं।
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