सरकार के निर्देश के बाद भी खाद्य तेल की कीमतें नहीं घट रही हैं। इसे लेकर सरकार ने तीनों प्रमुख खाद्य तेल एसोसिएशन को पत्र लिखकर तुरंत दाम घटाने और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को नियमित इसकी जानकारी देने को कहा है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ और सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन को लिखे पत्र में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में उद्योग संघ अपने सदस्यों से बातचीत कर उपभोक्ताओं तक कम-से-कम 15 रुपये प्रति लीटर तक घटी दरों के साथ खाद्य तेल की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। 6 जुलाई को कंपनियों को एक हफ्ते में दाम घटाने का निर्देश दिया गया था।
सरकार के निर्देश के पांच दिन के बाद भी कई कंपनियों ने खाद्य तेल की कीमतें नहीं घटाई हैं। इन कंपनियों में अदाणी विल्मर, रुचि सोया, कारगिल और अलाना शामिल हैं। अब तक केवल लिबर्टी, पार्क एग्रो और मदर डेयरी ने ही दाम घटाए हैं।
देशहित में नहीं है तेल आयात पर निर्भरता
खाने के तेल आयात पर भारी निर्भरता लंबे समय में भारत के राष्ट्रीय हित से समझौता कर सकती है। रेटिंग और रिसर्च फर्म केयरएज ने एक रिपोर्ट में कहा, अब भारत के लिए यह जरूरी हो गया है कि आत्म विश्वास पहल के माध्यम से न सिर्फ आत्मनिर्भर बने, बल्कि सर्वोत्कृष्ट बनकर आगे बढ़ें। आत्मनिर्भरता का मतलब आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण होने के साथ-साथ रणनीतिक रूप से समझदार होना भी है। एक रिपोर्ट में इसने कहा कि रूस-यूक्रेन के संकट की वजह से खाद्य तेल के प्रमुख निर्यातक देशों ने पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसी स्थिति में भारत को आयात निर्भरता कम करने के लिए घरेलू तिलहन के उत्पादन को बढ़ाना चाहिए। हालांकि पिछले कुछ सालों से इसमें बढ़त हो रही है। फिर भी खपत के जितना इसका उत्पादन नहीं हो रहा है।
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