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टीनएजर्स पर पाबंदी लगाना जायज? जानिए इसके फायदे और नुकसान

अगर आपका बच्चा भी युवावस्था में प्रवेश कर चुका है, तो उसकी थोड़ी उम्मीदें बढ़ जाती हैं. अब वह खुद को बड़ा और जिम्मेदार समझने लगता है और उसे महसूस होता है कि इस समय उसे आजादी मिलनी चाहिए. ऐसे में वह सोचता है कि पैरेंट्स को किसी तरह की पाबंदी उस पर नहीं लगानी चाहिए. हालांकि, यह नादान उम्र होती है और ज्यादा दुनियादारी का अनुभव न होने के कारण टीनएजर्स कई बार मात भी खा सकते हैं. हालांकि, हर बात पर उनके लिए पाबंदी लगाना भी जायज़ नहीं है. इससे भी बच्चा फ्रस्ट्रेट हो जाता है और घर वालों से छुप कर गलत काम करने लगता है, इसलिए पैरेंट्स इस दुविधा में पड़ जाते हैं कि क्या बच्चों को आजादी दें या फिर उन पर पाबंदी लगाएं. आजादी देने के भी अपने लाभ और नुकसान हैं और पाबंदी लगाने के भी. आइए जानते हैं इस स्थिति में बच्चों के साथ क्या किया जाना चाहिए.

बच्चे को कितनी आजादी दें
गुडथेरेपी डॉट ओआरजी के मुताबिक, बच्चे को इतनी आजादी दें कि वह खुद को एडल्टहुड के लिए तैयार कर सके. उन्हें कितनी आजादी देनी चाहिए, इस बात का उत्तर हर मां-बाप और उनके बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकता है. लेकिन, अपने बच्चे पर विश्वास करें. आपका ट्रस्ट बच्चे के अंदर जिम्मेदारी की भावना लाएगा. यह चीज़ें ध्यान में रखनी चाहिए कि बच्चे की उम्र क्या है, वह कितना मैच्योर है और वह किसी अनुभव से मानसिक रूप से आहत तो नहीं है. इसके बाद ही उन्हें किस-किस काम में आजादी देनी चाहिए, इसके बारे में डिसाइड करें.

इन बातों का ज़रूर रखें ध्यान
-केवल 16 साल के बच्चे को ही कुछ चीजें उनके दम पर करने दें. अगर बच्चे की उम्र इससे कम है, तो उसे देर रात तक न जागने दें, ड्राइविंग न करने दें. उन्हें यह सब करने के लिए इंतजार करने को बोलें.

-बच्चे को आजादी देने के साथ-साथ उन्हें नियम भी बता दें, ताकि वह आजादी का गलत प्रयोग न कर सकें और अनुशासन में रहें.

-अगर बच्चे ज्यादा शैतानी या बदतमीजी करते हैं, तो उन्हें उनकी सजा के बारे में भी समझा दें.

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