राजधानी में इमरजेंसी कोटे के लिए सबसे ज्यादा मारामारी सारनाथ और साउथ बिहार एक्सप्रेस के लिए है। रोज 2 से ढाई हजार मिलने वाले आवेदनों में 40 से 50 फीसदी इन्हीं दो ट्रेनों के होते हैं। दरअसल उत्तरप्रदेश और बिहार को जोड़ने वाली ये दोनों ट्रेनें नियमित चलती हैं।
वहां जाने वाले यात्रियों की संख्या अधिक होने के कारण इमरजेंसी कोटे के लिए आवेदन भी ज्यादा आते हैं। राजधानी एक्सप्रेस में टिकट महंगा होने के कारण इमरजेंसी कोटा के लिए कोई मारामारी नहीं है। रायपुर से गुजरने वाली 25 से ज्यादा ट्रेनों में इमरजेंसी कोटे के तहत टिकट कंफर्म किया जाता है। ट्रेनें रोजाना, साप्ताहिक या दो से तीन दिन चलती हैं, इसलिए कुल कितनी बर्थ है, इस पर रेलवे के अधिकारी कुछ जवाब नहीं दे पाए।
इमरजेंसी कोटा स्लीपर व एसी कोच में उपलब्ध रहता है। अलग-अलग ट्रेनों में अलग-अलग बर्थ की संख्या हो सकती है। सामान्यत: स्लीपर में 4 व एसी में 2-2 बर्थ उपलब्ध रहती है। रेलवे के अफसरों के अनुसार रोजाना 2 से ढाई हजार आवेदन इमरजेंसी कोटा में टिकट कंफर्म कराने के लिए आता है। इसमें जज, जनप्रतिनिधि, डॉक्टर, छात्र या दूसरे वर्ग के लोग रहते हैं। साउथ बिहार व सारनाथ एक्सप्रेस में एक माह बाद भी वेटिंग है। हर मौसम में दोनों ट्रेनें पैक चलती है। कंफर्म टिकट मुश्किल से ही मिलता है।
बीमारों के लिए भी इमरजेंसी कोटा
प्रोटोकॉल के अलावा बाकी बर्थ यात्रियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अलाट करता है। इमरजेंसी जैसे कि सरकारी ड्यूटी पर यात्रा, बीमारी, परिवार में शोक या जॉब के लिए इंटरव्यू देने के लिए यात्रा करने पर भी इमरजेंसी कोटे का लाभ दिया जाता है। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार इमरजेंसी कोटा जोनल या मंडल मुख्यालय के अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्टेशनों के लिए होता है।
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