शहर सहित जिले में 11 जून तक यानी 24 दिन में मानसून की दस्तक होने का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया है। इसी के साथ बारिश का दौर भी शुरू हो जाएगा। जिससे लोगों को गर्मी व उमस से राहत तो मिलेगी, लेकिन पानी जाम की समस्या से भी जूझते नजर आएंगे, क्योंकि नगर पालिका अब तक न ड्रेनेज सिस्टम बनवा पाई है, और न ही नालियों की सफाई करवा पाई। जबकि पिछले 10 साल में नाली, सीसी सड़क बनवाने में लगभग 8 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं।
भले ही नपा के अफसर व जनप्रतिनिधि दावा कर रहे हैं कि शहर में पानी जाम की समस्या न हो इसके लिए जगह-जगह सीसी रोड व नाली बना चुके हैं। लेकिन दावे के विपरीत हकीकत कुछ और ही दिख रही है। दैनिक भास्कर ने कई वार्डों में मौके पर जाकर देखा तब वास्तविक स्थिति सामने आई। वास्तविकता यह कि नाली में कचरा, पॉलिथीन, पत्ते व अन्य चीजें जाम हैं। नगर पालिका में सत्ता चाहे भाजपा की रही हो या कांग्रेस की, किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। सिर्फ औपचारिकता ही निभाई।
नालियों में लोग कचरा फेंकते हैं, सफाई नहीं हो पाती
नगर पालिका के रिटायर्ड सीएमओ आरपी यादव ने बताया कि बालोद शहर में मानसून के दौरान जलभराव होना नई बात नहीं है, ऐसी स्थिति बन ही जाती है। इसका मुख्य कारण यह है कि किसी न किसी कारण से सभी नालियों की सफाई नहीं हो पाती।
जब सफाई नहीं होगी तो अंदाजा लगा सकते हैं कि आगे क्या स्थिति होगी। लोग भी नालियों में कचरा फेंक देते है, जिसकी सफाई नहीं हो पाती। जब बारिश होती है तो नाली का पानी आगे बढ़ नहीं पाता, और सड़कों में बहने लगता है। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
आप भी जानिए, कहां क्या स्थिति
सिंधी कॉलोनी- यहां हर साल मानसून सीजन में बारिश का पानी सड़क पर बहता है। इसकी जानकारी जिम्मेदारों को भी है, लेकिन लोगों को राहत दिलाने कुछ नहीं कर पाए हैं। अभी आलम यह है कि यहां के नाली का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है, क्योंकि कचरे, पत्थर से पट गए है।
नपा कार्यालय के पीछे- नगर पालिका कार्यालय पुराने कलेक्टोरेट भवन के पीछे संजारी क्लब गार्डन के बगल में बनी नाली में पेड़ के पत्ते जमा हो गए हैं। एक ओर नियमित सफाई का दावा, लेकिन सच्चाई कुछ और। जब बारिश होगी, तब पानी आगे न बढ़कर सड़क में ही जाम होगा।
यहां नाली संकरी इसलिए समस्या- संजारी क्लब के सामने, पाररास, कुंदरुपारा, आमापारा में सीसी रोड तो है, लेकिन बगल में बनी नाली संकरी है। लिहाजा बारिश होने के बाद नाली का पानी सड़कों पर बहता है। वहीं वार्डों में अंदर जो नालियां ढंकी हालत में नहीं हैं, वह बारिश में परेशानी का सबब बनेगी।
समस्या का अस्थाई समाधान यह हो सकता है
1- मानसून आने में अभी 20-25 दिन का समय है, ऐसे में सभी नालियों की सफाई अंतिम छोर तक की जानी चाहिए।
2- नालियों की सफाई के अलावा पानी जाम न हो इसके लिए आगे अस्थाई रूप से कच्ची नाली बनाने की जरूरत है, यानी खुदाई कर दें ताकि सड़क में पानी न बहें।
3- तालाब के निचले क्षेत्र में निवासरत लोगों के घरों में पानी भरने की समस्या आती है। यहां की मॉनिटरिंग के लिए नगर पालिका को टीम का गठन करना चाहिए।
4- कुंदरूपारा, आमापारा, गंजपारा, वार्ड 12 में जलभराव की समस्या रहती है। शहर के चारों दिशाओं में मकान बने है, जहां स्थिति अलग-अलग रहती है। इसी हिसाब से नपा को तैयारियां करनी चाहिए।
5- नपा के जनप्रतिनिधि व अफसरों को वार्डों का भ्रमण कर लोगों की समस्याओं से रूबरू होना चाहिए। प्लानिंग से काम करें।
शहरवासी परेशान, इसके लिए यह सब जिम्मेदार
नपा के अफसर- क्योंकि आबादी कम है यह तर्क देकर ड्रेनेज सिस्टम बनवाने ध्यान ही नहीं दिए, और न ही मानसून के पहले नालियों की सफाई करवाने में।
यह कह रहे- मुख्य इंजीनियर सलीम सिद्दीकी ने बताया कि बड़े शहरों के लिए ड्रेनेज सिस्टम रहता है, यहां की जनसंख्या कम है। नालियों की सफाई करवाएंगे।
नपा के अध्यक्ष व सभी पार्षद- क्योंकि विकास कार्य के नाम पर सिर्फ नाली, सीसी रोड बनवाने, सिलकोट(डामरीक रण) पर ही ध्यान दिया लेकिन जलभराव की स्थिति न बनें इसके लिए कुछ कर नहीं सकें।
कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया- जनहित के मुद्दे पर नगर पालिका अध्यक्ष विकास चोपड़ा से संपर्क किया गया तो, उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
नपा के विपक्ष क्योंकि- नगर पालिका में विपक्ष की भूमिका में भाजपा के पार्षद हैं। जो जनहित के मुद्दे पर मौन रहते हैं। किसी को सरोकार नहीं है।
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