इस बीमारी ने एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की जान ले ली है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि बीमारी का सही कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है, लेकिन विशेषज्ञ वायरस की पूरी रेंज में से एक एडेनोवायरस का अध्ययन कर रहे हैं, जो सामान्य सर्दी समेत कई बीमारियों का कारण बनता है।यह बीमारी बच्चों के लीवर को निशाना बनाती है और कई मामलों में बच्चों को लीवर ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ रही है।
फिलहाल यूनाइटेड किंगडम, उत्तरी आयरलैंड, स्पेन, इजराइल, USA, डेनमार्क, आयरलैंड, नीदरलैंड, इटली, नॉर्वे, फ्रांस, रोमानिया और बेल्जियम में इस बीमारी के मामले सामने आए हैं।
एडेनोवायरस क्या है?
अभी बीमारी के कारणों को पता नहीं चला है। लेकिन विशेषज्ञ एडेनोवायरस संक्रमण समेत अन्य संभावित वायरस की जांच कर रहे हैं। एडेनोवायरस से 74 बच्चे संक्रमित थे।
WHO ने एक बयान में कहा, यह संभव है कि गंभीर हेपेटाइटिस, एक मौजूदा एडेनोवायरस संक्रमण का परिणाम है।
US CDC के अनुसार, एडेनोवायरस आम वायरस हैं, जो कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं। WHO के अनुसार, 50 से ज्यादा तरह के एडेनोवायरस जानकारी में हैं, जो मनुष्यों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
वे आमतौर पर सांस से जुड़े लक्षण पैदा करते हैं, लेकिन इनसे गैस्ट्रोएंटेराइटिस, कंजंक्टिवाइटिस और ब्लैडर इन्फेक्शन भी हो सकते हैं।
कैसे पता चला इस बीमारी के बारे में?
अक्टूबर 2021 में अमेरिका के अलबामा अस्पताल में कुछ ऐसे मामले आए थे, जिसमें बच्चों को लीवर खराब होने के कारण भर्ती कराया गया था।
लेकिन इसका कारण पता नहीं चल पाया। लेकिन अप्रैल महीने की शुरुआत में, WHO को स्कॉटलैंड में स्वस्थ बच्चों में हुए ऐसे लगभग 10 मामलों की जानकारी दी गई थी।
तीन दिन बाद, यूके में 74 मामलों की पहचान की गई थी, और अब ऐसे मामलों की संख्या 169 तक पहुंच गई है।
WHO ने हाल ही में एक बयान में आशंका जताई कि इस बीमारी की वजह का पता लगने से पहले, इसके और ज्यादा केस सामने आ सकते हैं।
क्या हैं इसके सामान्य लक्षण?
इस बीमारी में पेट में दर्द, दस्त और उल्टी के बाद पीलिया, त्वचा या आंखों में पीलापन आदि कुछ सामान्य लक्षणों का पता चला है।
इसके अलावा हेपेटाइटिस के दूसरे लक्षण जैसे थकान, भूख न लगना, गहरे रंग का पेशाब, हल्के रंग का मल और जोड़ों का दर्द भी दिख सकते हैं।
लैब टेस्ट में हाई लीवर एंजाइम रीडिंग के साथ गंभीर लीवर की सूजन के लक्षण मिले हैं। हाल ही में Covid-19 महामारी के दौरान इसके मामले कम हो गये थे,लेकिन इसका संक्रमण फिर से बढ़ रहा है।
परेशानी की बात ये है कि छोटे बच्चों को ज्यादा निशाना बना रहा है।
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