भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक (People’s Co-operative Bank) का लाइसेंस रद्द कर दिया. रिजर्व बैंक ने इसका आदेश 17 मार्च, 2022 को जारी किया था. इस आदेश के मुताबिक पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, कानपुर, उत्तर प्रदेश (People’s Co-operative Bank Limited, Kanpur) का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है. नतीजतन, अब बैंक 21 मार्च 2022 से कारोबार की समाप्ति होने से बैंकिंग व्यवसाय करना बंद कर देगा. यूपी के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को भी बैंक को बंद करने के लिए एक आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है और बैंक के लिए एक लिक्विडेटर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है.
आदेश में रिजर्व बैंक ने कहा है, को-ऑपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति ऐसी है कि वह जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने की अनुमति नहीं दे सकता और अगर इसे जारी रखने की अनुमति दी गई तो लोगों का हित प्रभावित होगा. पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक को “बैंकिंग” का व्यवसाय करने से मना किया गया था, जिसमें जमा की स्वीकृति और री-पेमेंट शामिल है. रिजर्व बैंक ने कहा है, लिक्विजेशन होने पर प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) से जमा बीमा दावा राशि के रूप में 5 लाख रुपये तक प्राप्त करने का हकदार होगा. आरबीआई ने कहा कि बैंक की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 99 प्रतिशत से अधिक जमाकर्ता डीआईसीजीसी से अपनी जमा राशि की पूरी राशि पाने के हकदार हैं.
लाइसेंस क्यों हुआ रद्द
पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द करने के पीछे रिजर्व बैंक ने जो कारण बताए हैं, उसके मुताबिक बैंक के पास न पर्याप्त पूंजी है और न ही कमाई का कोई जरिया. ऐसे में वह बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं करता है. रेगुलेशन एक्ट के कुछ प्रावधानों का बैंक ने पालन भी नहीं किया है. अगर बैंक को आगे जारी रखा जाता है तो इससे उसके जमाकर्ताओं पर असर पड़ेगा. बैंक की अभी स्थिति ऐसी है कि वह मौजूदा ग्राहकों को पूरा-पूरा पैसा नहीं लौटा सकता. अगर बैंक को चलाने की अनुमति जारी रखी गई तो इससे लोगों का हित बड़े स्तर पर प्रभावित होगा.
क्या कहा रिजर्व बैंक ने
रिजर्व बैंक की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में इस फैसले की जानकारी दी गई है. आरबीआई ने कहा कि 14 फरवरी, 2022 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के जुड़े जमाकर्ताओं से मिली रिक्वेस्ट के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के तहत कुल इंश्योर्ड जमा राशि में से 6.97 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.
इस साल तंगहाली में फंसे सहकारी बैंकों पर आरबीआई की कार्रवाई का यह ताजा उदाहरण है. इस साल सरजेरोदादा नायक शिराला सहकारी बैंक, इंडिपेंडेंस को-ऑपरेटिव बैंक और मंथा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. तीनों बैंक महाराष्ट्र राज्य के हैं. इन सभी बैंकों को बंद करने के पीछे यही वजह थी कि उनकी माली हालत खराब थी और इससे ग्राहकों की परेशानी और अधिक बढ़ सकती थी.
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