
हिंदू वैदिक संस्कृति में मकर संक्रांति का एक खास महत्व है, और पूरे भारत में यह बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन से ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है जिसके चलते यह दिन मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार के पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है.
हिंदू कैलेण्डर सूर्य की गति पर आधारित है, जबकि कई अन्य प्रचलित कैलेण्डर चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं. हिंदू धर्म में सभी प्रमुख खगोलीय परिवर्तनों का जश्न मनाया जाता है. मकर संक्रांति एक ऐसा ही परिवर्तन है जब सूर्य कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर गुजरता है. इसके साथ ही, पृथ्वी अपने उत्तरी भाग में घूमना शुरू कर देती है जो दर्शाता है कि गर्मियां शुरू हो रही हैं. इससे पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में था जिसके कारण भारत में रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं.
खगोलवैज्ञानिक दीपक शर्मा ने हमें बताया कि पृथ्वी के घूर्णन की वजह से प्रत्येक 6 महीनों में सूर्य की किरणों का पृथ्वी पर एंगल बदलता है. यह 6 महीने दक्षिणायन और 6 महीने उत्तरायण में रहता है. दक्षिणायन का अर्थ है सूर्य का पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से की तरफ होना और उत्तरायण का अर्थ है सूर्य का पृथ्वी के उत्तरी हिस्से की तरफ होना. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है और सूर्य की किरणों का उत्तरी पृथ्वी पर एंगल बढ़ता जाता है.
उन्होंने ये भी बताया कि 04 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे नजदीक होती है, मगर सूर्य की किरणों बेहद कम एंगल से पड़ती हैं, इसलिए ठंड रहती है. वहीं, उत्तरायण के बाद से यह एंगल बढ़ने लगता है और 04 जुलाई को सूर्य की किरणें एकदम सीधे पड़ती हैं. इस समय सूर्य पृथ्वी सूर्य से सबसे दूर होती है मगर गर्मी रहती है.
मकर संक्रांति पर दिन और रात दोनों का समय बराबर होता है. इसके बाद रात की तुलना में दिन लंबे और गर्म होने शुरू हो जाते हैं. साथ ही, यह दिन भारत में भी फसल के मौसम की शुरुआत से जुड़ा हुआ है. इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी, 2023 को मनाई जाने वाली है. इस दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्ध की तरफ खिसक जाएगा और गर्मी की शुरुआत होगी.