
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति को लेकर छानबीन समिति द्वारा दिए गए निर्णय पर अजीत जोगी ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। उन्होंने अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आदिवासी दिवस के दिन 9 अगस्त को ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये कह दिया था कि एक महीने के भीतर जोगी की जाति को लेकर निर्णय आ जाएगा।
अब सच में ऐसा हो गया। इसे क्या माना जाए? उन्होंने कहा कि निर्णय की कॉपी मिलते ही वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए अजीत जोगी ने इस निर्णय को बार-बार भूपेश छानबीन समिति का निर्णय बताते रहे। उन्होंने कहा कि समिति ने ये कहा है कि मैं आदिवासी नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि मेरे पुत्र अमित जोगी की जाति को हाईकोर्ट ने कंवर और गोंडी गोत्र का माना। उन्होंने पूछा कि जब मेरा पुत्र आदिवासी तो मैं आदिवासी कैसे नहीं हुआ? उन्होंने कटाक्ष किया कि मैं भारत का एकमात्र ऐसा व्यक्ति हूँ जिसकी कोई जाति नहीं है। मैं कँवर नही हूँ तो मेरी जाति क्या है? समिति ने ये भी नहीं बताया।
उन्होंने कांग्रेस में मिली जिम्मेदारियों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मुझे मरवाही का ही नहीं पूरे देश का मुखिया बनाया था। मुझे आदिवासी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। इन सब ने मुझे आदिवासी माना, लेकिन भूपेश बघेल ने नहीं माना अर्थ स्पष्ट है भूपेश इनसे सहमत नहीं है।
छानबीन समिति के फैसले के संबंध में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि भूपेश छानबीन समिति ने कोरे कागजों में अपने दस्तखत करके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंप दिए थे। सुनवाई केवल नौटंकी थी।
सभी कानूनी प्रक्रियाओं, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और न्यायालयों के दृष्टान्तों के विपरीत इस बेतुके फ़ैसले को हम उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों में चुनौती देंगे। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे साथ अन्याय नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित छानबीन समिति ने नहीं बल्कि भूपेश द्वारा बनाई छीनबीन समिति ने रातों रात अजीत जोगी की 73 साल पुरानी कंवर जनजाति होने के अधिकार को उन्हें उनके विरुद्ध प्रमाण दिखाय बिना उन्हें बिना सुनवाई का अवसर दिए बिना, उनके पक्ष में ग्राम सभा प्रस्ताव और उच्च न्यायालय के आदेश को रिकार्ड में लिए बिना, आनन-फ़ानन ख़ारिज कर किया।
मतलब साफ़ है कि समिति के सदस्यों ने केवल कोर कागजों में दस्तखत करे हैं। आदेश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और महाधिवक्ता सतीश चन्द वर्मा ने पहले से ही लिख दिया था। इसको उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के हम चुनौती देंगे।
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