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कच्चे तेल में एक बार फिर से आई भारी गिरावट, क्या अब और सस्ता होगा पेट्रोल-डीज़ल, जानिए सभी बातें

कच्चे तेल से ही पेट्रोल-डीज़ल और अन्य ईंधन बनते है. जिनका इस्तेमाल कार-बाइक के अलावा इंडस्ट्री में किया जाता है. इसीलिए विदेशी बाजारों में कच्चा तेल सस्ता/महंगा होने से कारोबारियों के साथ-साथ आम लोगों पर सीधा असर होता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. इसका कारण अमेरिका में क्रूड इनवेंट्री का बढ़ना है. हालांकि, घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीज़ल के दाम स्थिर है.

HPCL की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार को एक लीटर पेट्रोल के दाम बिना बदलाव के 104.01 पर स्थिर है. इसी तरह, एक लीटर डीज़ल के दाम 86.71 रुपये के भाव पर स्थिर रहे. देश की तीनों बड़ी कंपनी HPCL, BPCL और IOC रोजना सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों का ऐलान करती है.

पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें कच्चे तेल के दाम, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल के भाव और भारतीय रुपये की चाल पर निर्भर करते हैं. अगर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आती है. तो ऐसे में देश की कंपनियों को कच्चा तेल खरीदने के लिए ज्यादा अमेरिकी डॉलर खर्च करने होंगे. वहीं, रुपये की मज़बूती देश के विदेशी पूंजी भंडार के साथ-साथ आम आदमी की जेब को भी फुल रखती है.

अब आगे क्या?
अमेरिका में क्रूड इन्वेंट्री में 1 मिलियन बैरल की तेजी आई है. वहीं, यूबीएस एनालिस्ट जियोवानी स्टॉनोवो का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में मजबूत रैली के बाद, अब क्रूड में कंसोलिडेशन आएगा. मौजूदा स्तर से और गिरावट आ सकती है. हालांकि, एक्सपर्ट्स मान रहे है कि क्रूड की डिमांड प्री कोविड स्तर पर लौट आई है. 2022 की पहली तिमाही में मांग 2019 के स्तर से अधिक हो सकती है. ऐसे में क्रूड जनवरी महीने में 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू सकता है.

पेट्रोल-डीज़ल को लेकर सरकार अब क्या करेगी?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट को जीएसटी के तहत लाने से इनकी कीमतों में गिरावट आएगी. साथ ही, इससे केंद्र और राज्य, दोनों की आमदनी भी बढ़ेगी. एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अगर राज्य सरकारों का समर्थन मिलता है तो वह निश्चित तौर पर वाहन ईधन को जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिश करेंगी. आपको बता दें कि कुछ राज्य पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का विरोध कर रहे हैं. 17 सितंबर 2021 को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी से बाहर रखने का फैसला किया गया था.

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