जगदलपुर: बस्तर संभाग मुख्यालय में रियासत कालीन 75 दिवसिय बस्तर दशहरा में परंपरानुसार 80 से अधिक पूजा विधान संपन्न किए जाते हैं, वहीं इस दौरान 75 से अधिक बकरों की बली भी दी जाती है। बकरों के अलावा मुर्गे, मोंगरी मछली, अंडे तथा देशी शराब का भी उपयोग रियासत कालीन परपंरानुसार नियत अवसरों पूजाविधान में होता है।
सर्वाधिक संख्या में एक साथ 11 बकरों की बली आश्विन शुक्ल अष्टमी की मध्य रात्रि को निशा जात्रा पूजा विधान के मौके पर दी जाती है। बली का सिलसिला पहली पूजा विधान पाटजात्रा 08 अगस्त से प्रारंभ होकर कुटुंब जात्र पूजा विधान 18 अगस्त तक जारी रहेगा।
बस्तर दशहरा समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार पर्व में 75 बकरों के अतिरिक्त भी अलग से 08-10 बकरों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। बकरों के अलावा बस्तर दशहरा पर्व आयोजन के दौरान प्रशासनिक देख-रेख में 03 हजार नारियल, 05 हजार लीटर देशी शराब तथा 400 च्ंिटल चांवल की व्यवस्था की जाती है।
पचहत्तर दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा को दुनिया की सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाले पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो सावन महीने की अमावश्या अर्थात हरियाली अमावश्या के दिन प्रारंभ होता है और आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन इस पर्व का समापन होता है, इसके तिथि के पश्चात भी आमंत्रित देवी-देवताओं की विदाई का आयोजन आदि संपन्न होते हैं।
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