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धमतरी में गांधी जयंती पर मिसाल… गांधी की तस्वीर लेकर शराब की दुकान हटाने के लिए 31 दिन तक आंदोलन… ग्राहकों को तिलक लगाती थीं महिलाएं, तो ग्राहकों ने बंद कर दिया आना, आखिर दुकान बंद…

आज गांधी जयंती है और इस दिन को मनाने का इससे अच्छी मिसाल और क्या मिलेगी कि धमतरी के एक गांव में महिलाओं ने अहिंसात्मक आंदोलन करके एक शराब दुकान को बंद करवा दिया। दरअसल, धमतरी के सोरिद वार्ड में एक शराब दुकान खोल दी गई थी। ये दुकान एक स्कूल के पास ही है।

इसी कारण महिलाओं ने निर्णय लिया कि यहां शराब दुकान चलने नहीं देंगी। इसके लिए 31 अगस्त से उन्होंने गांधी जी की तस्वीर लेकर अहिंसात्मक आंदोलन शुरू किया। ये महिलाएं दुकान में आने वाले ग्राहकों को तिलक लगाकर स्वागत करती थीं और उन्हें समझाती थीं कि उनका साथ दे। आखिरकार यहां ग्राहकों ने आना बंद कर दिया। शुक्रवार को प्रशासन ने इस दुकान को बंद करने का आदेश जारी कर दिया।

धमतरी के सोरिद वार्ड व बागतराई की महिलाओं के इस आंदोलन ने एक मिसाल पेश की है। इस दुकान में पहले चार दिन में करीब 5 लाख रुपए की बिक्री हुई थी लेकिन धरना शुरू होने के बाद एक भी ग्राहक दुकान तक नहीं आ पा रहा था। एक महीने के बाद शुक्रवार को शराब दुकान को बंद कर दिया गया है। आबकारी अधिकारी दिनकर वासनिक ने बताया कि दुकान में शराब की बिक्री ही नहीं हो रही थी।

यह शून्य हो गई थी। लगातार विरोध हो रहा था, इसलिए दुकान बंद कर दी गई है। दरअसल, मार्च-2021 में नवागांव वार्ड की शराब दुकान को सोरिद वार्ड में खोलने की तैयारी की गई, इसके लिए भवन तैयार किया गया। यहां आसपास स्कूल और खेत हैं। विरोध हुआ तो तत्कालीन कलेक्टर जेपी मौर्य ने दुकान शुरू ही नहीं करवाई।

कलेक्टर बदलने पर करीब तीन महीने बाद भवन मालिक और विभागीय अफसरों ने 27 अगस्त को इसे शुरू करवा दिया। इस दौरान 30 अगस्त तक 4 दिन में करीब 5 लाख की शराब की बिक्री हुई। दुकान शुरू होने की जानकारी वार्ड की महिलाओं को मिली तो 31 अगस्त को सोरिद वार्ड और बागतराई गांव की महिलाएं एकजुट हुईं। दुकान से कलेक्टोरेट तक रैली निकाली। दुकान बंद करने की मांग की। दुकान बंद नहीं हुई तो दुकान के सामने ही सत्याग्रह शुरू कर दिया। दुकान बंद होने के बाद ही समाप्त हुआ।

रोज जुटी महिलाएं, दोपहर का खाना भी वहीं बनाया
महिलाएं बारी-बारी से घर की जिम्मेदारी पूरी कर धरनास्थल पहुंचती थीं। दुकान से 100 मीटर दूर पेड़ के नीचे शराब दुकान खुलने से एक घंटे पहले जाकर और दुकान बंद होने तक बैठतीं। रोज दोपहर में आपसी सहयोग से करीब 60-70 लोगों का खाना मौके पर ही बनता था। सेवती साहू, कुमारी साहू, कुमारी यादव, दुलेशिया यादव, रामहीन कंवर, बिमलाबाई साहू, शीला यादव, अनुसुइया सिन्हा और अन्य महिलाओं ने इसे गांधीवाद की जीत बताया।

ऐसे चला आंदोलन, तिलक लगाकर ग्राहकों का किया स्वागत
महिलाओं ने शराब दुकान जाने वाले रास्ते पर धरनास्थल बनाया, जो भी ग्राहक शराब खरीदने दुकान की तरफ बढ़ता तो उसका स्वागत किया। उसे समझाया। गर्म दूध पिलाया। उसकी आरती उतारी। तिलक किया। इसमें स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को भी जोड़ा। शराब दुकान से फायदा उठाने वालों ने दबाव भी डाला लेकिन महिलाओं व उनके परिजन ने हार नहीं मानी। विरोध चलता रहा।

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