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टिकैत ने दिया ट्रैक्टर, टैंक और ट्विटर का फॉर्मूला… राजिम मंडी में कहा, कानून वापस नहीं हुए तो दिल्ली बनाएंगे हर प्रदेश; योगेंद्र बोले- अब यह किसान की इज्जत का आंदोलन…

महानदी, पैरी और सोंढुर नदियों के त्रिवेणी संगम वाला कस्बा राजिम मंगलवार को ऐतिहासिक किसान महापंचायत का गवाह बना। भीड़ इतनी कि इसे छत्तीसगढ़ में किसानों की सबसे बड़ी सभा कहा जा सकता है। राजिम कृषि उपज मंडी में 15 हजार से अधिक किसानों को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने तीन-टी का फॉर्मूला दिया।

राकेश टिकैत ने कहा, पिछले 10 महीनों से किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों ने जमीन पर अपनी पकड़ और ताकत दिखा दी है। सरकार अभी तकनीक और सोशल मीडिया में हमसे मजबूत है। ऐसे में युवाओं को यह मोर्चा संभालना होगा। हमें तीन टी पर ध्यान रखना है। खेत में किसान का ट्रैक्टर, सेना में किसान के बेटे का टैंक और ट्वीटर पर किसान के हित की बात।

सरकार नहीं थी, नहीं है और नहीं रहेगी
टिकैत ने आगे कहा, केंद्र सरकार झूठ बोलती है। उसने कहा, MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) थी, है और रहेगी, लेकिन सभी फसलों को MSP मिलती नहीं है। हम भी कहेंगे कि सरकार नहीं थी, नहीं है और नहीं रहेगी। सरकारों को चेतावनी देते हुए टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार ने अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए तो हर राज्य की राजधानी को दिल्ली बना दिया जाएगा। जो राज्य सरकार किसान का साथ नहीं देगी, उसका चेहरा नहीं बनेगी उस राज्य और राजधानी को भी दिल्ली बनाने में देर नहीं लगेगी। टिकैत ने कहा, याद रखिए अगर यह आंदोलन असफल हुआ तो फिर इस देश में कोई आंदोलन नहीं हाे पाएगा।

योगेंद्र यादव बोले- महापंचायत ने मुंह पर ताला लगाया
किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शुमार योगेंद्र यादव ने कहा, अब यह केवल तीन कृषि कानूनों की वापस लेने और MSP की गारंटी का आंदोलन नहीं रह गया है। यह किसान की इज्जत का आंदोलन बन गया है। किसान, किसान बना रहेगा या उसे मजदूर बना दिया जाएगा इसका फैसला इस आंदोलन से होगा। योगेंद्र ने कहा, किसानों को सबकी खबर लेनी होगी। दिल्ली वालों की भी और रायपुर वालों की भी।

राकेश टिकैत ने किसानों को यह समझाया

यह आंदोलन खेती से किसानों को बेदखल कर पूंजीपतियों को ले आएगा।

यह किसान, मजदूर, छोटे कारोबारी और आम उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाएगा।

हमें कोल्डड्रिंक जैसे उत्पादों का बहिष्कार करना होगा। कंपनियों की आमदनी कम होगी तभी किसान मजदूर की आमदनी बढ़ेगी।

भाजपा के शासन में जिन 14 करोड़ लोगों के रोजगार गए हैं, उन्हें आंदोलन करना होगा।

पूरे देश को धर्म और जाति में बांटा जा रहा है। याद रखिए यह आंदोलन किसान बिरादरी का है।

योगेंद्र ने समझाया कि आंदोलन से क्या मिला
किसान का आत्मसम्मान वापस मिला है। किसान का बच्चा शहर जाता था और कोई पूछ लिया कि पापा क्या करते हैं तो वह किसान कहते हुए घबड़ाता था। वही बच्चा अब सर उठाकर बोल रहा है कि वे इस देश के अन्नदाता हैं।

आंदोलन ने राजनीतिक हैसियत बता दी है। किसानों को समझ में आ गया है कि उनकी चुनावी ताकत कितनी है। सभी नेताओं को भी समझा दिया है कि कभी किसानों से पंगा मत लेना।

एकता की ताकत समझा दी है। पहले किसान किसी आंदोलन में हाथ उठाता था, उसकी पंजे की पांच अंगुलियां पांच तरफ जाती थी। जाति, गोत्र, धर्म, क्षेत्र और राजनीतिक पार्टी से बंध जाता था। इस बार उसे समझ में आ गया है कि मुट्‌ठी बांधने से ताकत बढ़ती है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने स्थानीय किसान संगठनों के साथ एकजुटता दिखाई।

यह प्रस्ताव भी पारित हुआ

– किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानूनों को रद्द कर न्यूनतम समर्थन मूल्य में सभी कृषि उपजों के खरीदी के लिए कानूनी गारन्टी देने की मांग वाला आंदोलन प्रदेश भर में किया जाएगा।

वर्तमान खरीफ सीजन से राज्य सरकार 25 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान की खरीदी करे।

छत्तीसगढ़ में सिंचाई के साधन बढ़ाए जाएं।

छत्तीसगढ़ में धान के अलावा अन्य फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए मार्कफेड के माध्यम से खरीदी की व्यवस्था की जाए।

कृषि भूमि का अधिग्रहण किसी भी हालत में न किया जाए।

आदिवासियों व लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जारी आंदोलनों का दमन बंद किया जाए।

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