वैक्सीन ही सुरक्षा कवच है… वैक्सीनेशन का आंकड़ा धड़ाम से गिरा, पहले रोज लगते थे 20 हजार, अब लग रहे 8 हजार…

राजधानी में वैक्सीनेशन का ग्राफ एक झटके में गिर गया है। जुलाई और अगस्त में जहां रोज औसतन 20 हजार लोग टीका लगवा रहे थे, वहीं सितंबर आते आते वैक्सीनेशन का आंकड़ा 8 हजार पर अा गया है। इस बीच दो-चार दिन तो ऐसे भी गुजरे जब किसी रोज 5 तो किसी रोज 7 हजार लोगों ने भी टीका लगवाया है।
कोरोना के केस कम होने से लोगों के साथ-साथ प्रशासन भी बेफिक्र हो गया है। लोगों को वैक्सीनेशन के लिए जागरुक और प्रेरित करने वाले सारे अभियान ठप पड़े हैं। इस वजह से भी लोग टीका लगवाने भी नहीं पहुंच रहे हैं, जबकि रायपुर में पूरे प्रदेश के 12 फीसदी टीकाकरण केंद्र हैं। फिलहाल वैक्सीनेशन की स्थिति ये हो गई है कि टारगेट तक पूरा नहीं हो पा रहा है।
राजधानी में हर दिन का टारगेट जितना तय किया जा रहा है, उसके आधे टीके भी नहीं लग पा रहे हैं। रविवार को 23 हजार से अधिक टीके लगाने का लक्ष्य था, जबकि सात हजार टीके ही लग पाए। प्रदेश में लगाए गए 57 हजार से अधिक टीके के अनुपात में रायपुर में सिर्फ 12 फीसदी ही टीके लग पाए। रायपुर में 17.56 लाख टीके लगाने का लक्ष्य तय किया गया है।
इसका 80 फीसदी लक्षय पूरा कर लिया गया है। अब एकाएक वैक्सीनेशन के प्रति बेफिक्री आ गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक 34 लाख टीके के दोनों डोज लगने पर ही सुरक्षा कवच अधिक माना जा सकता है। इस लिहाज से अभी केवल 55 फीसदी ही टारगेट पूरा हो पाया है।
धार्मिक स्थलों के कैंप बंद इससे भी बड़ा असर हुआ
स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों के साथ-साथ मोहल्लों और सामुदायिक केंद्रों में टीकाकरण कैंप शुरू किए थे। हफ्ते में एक दिन लेकिन कैंप लगाकर टीका लगाया जा रहा था। यहां बड़ी संख्या में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए पहुंचते थे। फिलहाल कैंप सिस्टम भी बंद कर दिया गया है। इस वजह से भी लोग टीकाकरण के लिए ज्यादा प्रेरित नहीं हो रहे हैं।
बड़े टीकाकरण केंद्र भी खाली
राजधानी के सबसे बड़े टीकाकरण केंद्र नेहरु मेडिकल कॉलेज में पहले जहां हर दिन हजार से अधिक टीके लगाए जा रहे रहे थे, अब यहां भी टीके की लगाने वालों की संख्या सैकड़े पर सिमट गई है। खचाखच भरा रहने वाले हॉल में अब दिनभर कुर्सियां खाली रहती हैं। रायपुर जिले में 8 हजार टीके हर दिन का औसत जो अभी आ पा रहा है, उसमें भी आउटर के इलाकों खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में टीके की संख्या अधिक रह रही है।
सुपरवाइजर ही तैनात नहीं
टीके की रफ्तार गिरने के पीछे केंद्रों में सुपरवाइजरों की कमी अहम वजह मानी जा रही है। रायगढ़ जिला जहां पहले डोज का शतप्रतिशत लक्ष्य हासिल हो चुका है, वहां टीके को एक मुहिम की तरह लिया गया है। जागरूकता और डोर टू डोर सर्वे भी करवाए गए है। रायपुर में इसकी कमी साफ नजर आ रही है। सुपरवाइजर होने से हर दिन टीका केंद्र की मॉनिटरिंग हो सकती है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हो पा रहा है।