ईसाई मिशनरियों के खिलाफ गृह मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा कदम उठाया हैं। चार बड़े ईसाई संगठनों की विदेशी फंडिंग का लाइसेंस निलम्बित कर दिया गया हैं।
सरकार ने अभी हाल ही में चार मिशनरी संगठनों के FCRA लाइसेन्स निलंबित किए हैं, जिनमें झारखंड में स्थित Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, मणिपुर में स्थित Evangelical Churches Association (ECA) , झारखंड में बसे Northern Evangelical Lutheran Church और मुंबई में स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) भी शामिल है। बता दें कि किसी भी NGO को विदेशी फण्ड्स प्राप्त करने के लिए FCRA लाइसेंस बहुत आवश्यक है। इनमें से एक जर्मनी से, एक वेल्स से, एक न्यूज़ीलैंड से तो एक अमेरिका से संबंध रखता है।
अमित शाह के नेतृत्व वाले गृह मंत्रालय के डाटा के अनुसार New Life Fellowship Association का एफसीआरए लाइसेंस 10 फरवरी को निलंबित किया गया था।
यह गौर किया जाना चाहिए कि जिन छह एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस निलंबित हुए हैं, उनमें चार ईसाई संघ शामिल हैं। इनमें झारखंड का ईकोसॉउलिस नॉर्थ वेस्टर्न गॉसनर इवेंजेलिकल, मणिपुर का इवेंजेलिकल चर्च असोसिएशन (ईसीए), झारखंड का नॉर्दर्न इवेंजेलिकल लूथरन चर्च और मुंबई का न्यू लाइफ फेलोशिप एसोसिएशन एनएलएफए शामिल हैं।
इसके अलावा, दो संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) आधारित ईसाई दानदाता भी एमएचए के शक के घेरे में हैं। इनमें सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च और बैपटिस्ट चर्च हैं। वर्तमान में भारत में उनकी फंडिंग गतिविधियों की भी जाँच की जा रही है।
यह गौर किया जाना चाहिए कि इससे पूर्व 2017 में एक और शक्तिशाली यूएस-आधारित ईसाई दाता, जिसे कॉम्पेशन इंटरनेशनल कहा जाता था का भारत में संचालन रोका गया था। दरअसल, गृह मंत्रालय को पता चला था कि उसने कुछ एनजीओ को वित्त पोषित किया था, जो धार्मिक रूपांतरण को प्रोत्साहित करते थे।
इस बीच, छह एनजीओ जिनके एफसीआरए लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। उनमें अन्य दो राजनंदगांव कुष्ठरोग अस्पताल व क्लिनिक और डॉन बॉस्को ट्राइबल डवलपमेंट सोसाइटी हैं।
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