पटना। आमतौर पर छिपकली घरों के आसपास या खंडहरों पर पाई जाती है। ये सामान्य छिपकली है, जो किसी के लिए कीमती नहीं हो सकती है। पर बिहार के किशनगंज में एक दुर्लभ प्रजाति की छिपकली की तस्करी का भंडाफोड़ हुआ है। इसका उपयोग मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं के निर्माण में होता है। इस छिपकली का नाम गीको या टोको है। बरामद दो छिपकलियों की कीमत करीब दो करोड़ बताई जा रही है। सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने दो तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। फिलहाल बरामद छिपकलियों को वन विभाग सौंप दिया गया है।
आपको बता दें कि टोको एक दुर्लभ छिपकली है, जो ‘टॉक-के’ जैसी आवाज़ निकालने के कारण टोको कही जाती है। इसके मांस से नपुंसकता, डायबिटीज, एड्स और कैंसर की परंपरागत दवाएं बनाई जाती हैं। इसका उपयोग मर्दानगी बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। खासकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इसकी बहुत ज्यादा मांग है। चीन में भी चाइनीज ट्रेडिशनल मेडिसिन में इसका उपयोग किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसी एक छिपकली की कीमत एक करोड़ रुपए तक है. यह छिपकली दक्षिण-पूर्व एशिया, बिहार, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाती है। जंगलों की लगातार कटाई होने की वजह से यह ख़त्म होती जा रही है।
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