रायपुर : रायपुर के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से पूर्व आईएएस गणेश शंकर मिश्रा के बीजेपी में शामिल होने की ख़बर आने लगी है. बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की ख़बरें आईं. इसके बाद इस बात की चर्चा तेज़ हो गयी. नड्डा ने उन्हें भाजपा का गमछा पहनाकर पार्टी में स्वागत किया.
अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखन लाल मिश्र के पुत्र गणेश शंकर मिश्रा का जन्म रायपुर के तिल्दा ब्लाक स्थित ग्राम मूरा में हुआ। परिवार की ख्याति शुरू से ही देशभक्ति और जनसेवा के मूल्यों पर आधारित थी। इन्हीं मूल्यों को साथ कर गणेश शंकर मिश्र ने अपने 36 वर्षीय शासकीय सेवाकाल में देश और प्रदेश में खूब यश अर्जित किया और अनेक अवसरों पर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया।
रायपुर नगर निगम के अंतिम प्रशासक के तौर पर मिश्रा ने 5 महीने के अन्दर पूरे शहर का कायाकल्प कर डाला था, आज जो घड़ी चौक रायपुर की पहचान बन गया है वो आपकी ही देन है। उस समय युद्ध अभियान चलाकर शहर के 5000 से अधिक बेजा कब्जे हटाये गए जिसके कारण मिश्रा को बुलडोज़र प्रशासक कहा जाने लगा।
1995 में आपके द्वारा आयोजित प्रतिष्ठा नेत्र शिविर में 11 दिन के अन्दर 5000 से अधिक मोतियाबिंद के सफल ऑपरेशन कराये गए थे, जो आज भी एक रिकॉर्ड है। राजनंदगांव में कलेक्टर रहते हुए गणेश शंकर मिश्रा ने डोंगरगढ़ पदयात्रा का ऐसा जबरदस्त मैनेजमेंट किया था कि उनके पूरे कार्यकाल में पहली बार वृहद् स्तर पर पदयात्रियों की सेवा सहयोग के लिए स्व सहायता समूहों एवं सामाजिक संगठनों के माध्यम से हर 2-3 km की दूरी में पंडाल सजाकर भोजन, फलाहार, चिकित्सकीय सेवा एवं आराम की व्यवस्था रखी गयी थी।
इस दौरान सबसे उल्लेखनीय यह था कि पदयात्रियों की संख्या तो बढ़ी पर दुरुस्त प्रशासनिक मुस्तैदी के चलते एक भी पदयात्री का लहू सड़क पर नहीं बहा मिश्रा जब तक कलेक्टर रहे प्रतिवर्ष के दोनों नवरात्र में हर दिन दो से तीन बार डोंगरगढ़ जाकर सारी व्यवस्था का अवलोकन स्वयं करते थे। राजनंदगांव जिले में 500 से अधिक बाल विवाह समझाईश से रुकवा कर सामाजिक क्रांति की अलख इन्होने जगाई थी।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सम्मिलित क्षेत्र के प्रथम 12 ODF निर्मल ग्राम पंचायत भी मिश्रा के प्रयासों से वर्ष 2005 में राजनंदगांव में ही हुए, जिसके लिए तत्कालीन राष्ट्रपति कलाम ने दिल्ली में मिश्रा को पुरस्कृत कर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया था।
बस्तर में कलेक्टर होकर गए तो जगदलपुर शहर की जनता से ऐसा कनेक्शन बन गया कि सभी लोग जगदालपुर के सौन्दर्यीकरण का मिश्रा का स्वप्न साकार करने में बढ़-चढ़कर योगदान देते हुए अपने बेजा कब्जे हटाने लगे, कोई अप्रिय घटना या वाद-विवाद नहीं हुआ, परिणाम ऐसा कि 2007 में ऐसी चौड़ी सड़कें व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम और भव्य चौक-चौराहे बने जैसे उस समय राजधानी रायपुर में भी नहीं थे। अगले ही वर्ष राज्य के सबसे अधिक ODF निर्मल ग्राम बस्तर जिले से हुए | देश का प्रथम ओक्सीज़ोन वन भी बस्तर में मिश्रा ने बनवाया था।
नवरात्रि में दंतेश्वरी माता के दर्शन को जाने वाले पदयात्रियों को डोंगरगढ़ पैटर्न की तर्ज पर जब सुविधा श्री गणेश शंकर मिश्रा के निर्देशों पर मिली तो माई के दरबार में जाने वाले पदयात्रियों की संख्या बढ़कर लाखों में हो गयी। आदिवासी इलाके में देवी उपासना की यह अलख हमारे मिश्राजी के प्रयासों से ही संभव हो पाया।
पूरे बस्तर संभाग की पहली आदमकद गाँधी प्रतिमा मिश्र द्वारा बस्तर जिलाधीश कार्यालय में लगवाई गयी और उन्होंने कलेक्टोरेट को गाँधी के आदर्शों का सेवा सदन बना डाला कार्यप्रणाली में परिवर्तन ऐसा जिसे आम लोगों ने महसूस करते हुए अधिकारीयों-कर्मचारियों में आयी संवेदनशीलता और अनुशासन तथा कार्य के प्रति निष्ठा की भूरी-भूरी प्रशंसा की एक लोकतान्त्रिक सरकार के नुमाइंदे के तौर पर कार्यरत जिलाधीश पर बाधा लोक विश्वास बस्तर जैसे नक्सलग्रस्त क्षेत्र में प्रजातान्त्रिक मूल्यों की बहुत बड़ी जीत थी।
गणेश शंकर मिश्रा सबसे लम्बे समय तक आबकारी और वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त रूप से सि रहे, इस दौरान शराबबंदी की दिशा में अब तक की सबसे सार्थक पहल करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर भारत माता वाहिनी का गठन किया, जिसके तहत घर-घर जाकर मदिरापान करने के कारण बर्बाद हो रहे लोगों को एक समूह समझाईश देता था और कभी मदिरा सेवन न करने की शपथ दिलाता था।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी में सचिव बने तो हर घर नल योजना के अंतर्गत सिर्फ 2 वार्षों में राज्य भर में इतने नल कनेक्शन हुए जितना आज़ादी से 65 वर्ष पश्चात् तक की स्थिति के तुलना से लगभग 5 गुना था। रमन के गोठ कार्यक्रम जो रेडियो में बहुत पसंद किया जाता था, उसकी परिकल्पना भी मिश्र ने ही की अपने शासकीय सेवा के अंतिम पायदान में जब जल संसाधन के प्रमुख सचिव रहे तो मिश्रा ने काम समेटने के बजाये अभियान लक्ष्य भागिरती छेड़ डाला, जिसे वे अपने सभी कार्यों में सबसे ज्यादा महत्वकांक्षी बताते हैं।
मिश्रा के नेतृत्व में एक वर्ष में 1 लाख हेक्टेयर से अधिक की सिंचाई क्षमता विकसित की गयी थी, जो औसतन 39 हजार प्रतिवर्ष ही होती थी। मिश्र की मंशा थी की छत्तीसगढ़ के किसान अपनी खेती के लिए मानसून पर निर्भर न रहें और 100% सिंचाई क्षमता सन 2028 तक विकसित करने हर वर्ष कम से कम एक लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता विकसित की जाये। मिश्रा को आज भी मलाल है यह काम अब उन्डे बसते में चला गया है। कभी बुलडोजर प्रशासक तो कभी गाँधीवादी सेवक सेवक के रूप में मिश्रा जी का अब तक का सेवाकाल आरंभ से ही जमीनी पुख्ता और जनहितकारी रहा है। सेवानिवृत्ति के पश्चात् अपना ज्यादातर समय आप अपने पैत्रिक ग्राम में देते हैं और अपने खेत-खलिहान को दुरुस्त करने में व्यस्त रहते हैं।
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