छत्तीसगढ़

बस्तर कमिश्नर के हाथों इंद्रावती सम्मान…किसी समय साहित्य समाज का दर्पण हुआ करता था-धनंजय देवांगन

कोंडागांव। स्थानीय टाउन हाल में 17 दिसंबर को साहित्य ऋ षि लाला जगदलपुरी जयंती समारोह के अवसर पर इन्द्रावती सम्मान दिया गया। यहां विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 24 विभूतियों को बस्तर कमिश्नर धंनजय देवांगन समेत पदमश्री धर्मपाल सैनी, शायर जनाब, रउफ परवेज, शिक्षाविद बीएनआर नायडु, डॉ. राजाराम त्रिपाठी, हिमांशु शेखर झा के हाथों सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर युवा रचनाकार विश्वनाथ देवांगन के हल्बी काव्य संग्रह मुस्कुराता बस्तर, ककसाड आमचो मया परब और हिन्दी काव्य संग्रह काश मैं कवि होता का विमोचन किया गया। राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका ककसाड, गभीर समाचार, कृषि वर्ल्ड और वणिक समाचार का भी लोकार्पाण किया गया।

सम्पादक डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि, जब भारत जैसे भाषा बाहुल्य देश में क्षेत्रीय भाषाओं की भी भूमिका हैं। खासकर राज्य गठन के पश्चात छत्तीसगढी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने के बाद हल्बी की स्थिति अत्यन्त दुखद हैं। मुझे छत्तीसगढी से कोई तकलीफ नहीं किन्तु तात्कालिन बस्तर स्टेट के महाराजाओं के द्वारा राज्य के सारे राजकाज हल्बी भाषा में किए जाते थे।

तब हल्बी की क्षेत्र में कितनी महता थी, इसे कहने की आवश्यकता नहीं हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि बस्तर कमिश्नर धंनजय देवांगन ने कहा कि किसी समय साहित्य समाज का दर्पण हुआ करता था, अब इसकी जगह फिल्मों ने ले ली हैं। लेकिन फिल्मों में साहित्य की तरह कोई संदेश नहीं मिल रहा हैं, यह दु:ख की बात हैं।

उन्होने कहा कि समाज के निर्माण में मीडिया की अंहम भूमिका हैं मीडिया आज भी उतना ही ताकतवर हैं इसलिए समाज के निर्माण में मीडिया को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। विभिन्न वक्ताओ ने लाला जगदलपुरी के व्यक्तित्व और साहित्य में उनके योगदान की चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन मधु तिवारी ने किया, तो कार्यक्रम में शिप्रा त्रिपाठी ने स्वागत गीत सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सभी अतिथियों का आभार प्रदर्शन उमेश मण्डावी सचिव छग हिन्दी साहित्य परिषद ने किया।

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