नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी लहर बच्चों को खास प्रभावित नहीं कर पाएगी. इस बात की जानकारी हाल ही में हुई एक स्टडी ने दी है. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से किए गए अध्ययन में बच्चों में हाई सीरो-पॉजिटिविटी होने की जानकारी मिली है. दूसरी लहर (Second Wave) की शुरुआत से ही जानकार कोविड महामारी की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दे रहे थे. कहा जा रहा था कि तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर हो सकता है.
स्टडी के मुताबिक, बच्चों में ज्यादा सीरो-पॉजिटिविटी पाई गई है. सीरो-पॉजिटिविटी वायरस के खिलाफ प्राकृतिक इम्यून रिस्पॉन्स तैयार करने की क्षमता को दिखाती है. पांच राज्यों में की गई स्टडी का सैंपल साइज 10 हजार था, जिसे एम्स की इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी और अन्य संस्थाओं की तरफ से मंजूरी दी गई थी. 4 हजार 509 प्रतिभागियों में से 700 की उम्र 18 साल से कम की थी और 3 हजार 809 लोगों की आयु 18 वर्ष की थी.दिल्ली शहरी, दिल्ली ग्रामीण, भुवनेश्वर, गोरखपुर और अगरतला साइट के लिए एनेलाइज किए गए प्रतिभागियों की औसत उम्र क्रमश: 11,12,11,13 और 14 थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस स्टडी के लिए डेटा 15 मार्च 2021 से लेकर 10 जून 2021 के बीच एकत्र किया गया था. शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्रतिभागियों में SARS-CoV-2 के खिलाफ सीरम एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए ELISA किट्स का इस्तेमाल हुआ था.
स्टडी में बताया गया है कि वयस्क आबादी की तुलना में बच्चों में सीरो-पॉजिटिविटी ज्यादा थी. ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि भविष्य में आने वाली तीसरी लहर दो साल या इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को अनुपातहीन तरीके से प्रभावित करेगी. हाल ही में जानकारी मिली थी की नोवावैक्स जल्द ही बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत कर सकती है.
सीरम ने उम्मीद जताई है कि जुलाई में कोवोवैक्स का बच्चों पर ट्रायल शुरू हो सकता है. अगर ऐसा होता है, तो बच्चों के लिए क्लीनिकल ट्रायल तक पहुंचने वाली देश में चौथी वैक्सीन होगी. कंपनी सितंबर तक कोवोवैक्स को भारत में लॉन्च करने की बात कह रही है. बीते साल सितंबर में नोवावैक्स ने सीरम के साथ उत्पादन समझौते की घोषणा की थी.
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