Breaking Newsट्रेंडिंगदेश -विदेशस्लाइडर

बच्चों में कोरोना से हो रही MIS-C, इसके लक्षण क्या हैं और कितनी खतरनाक है बीमारी

कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस जैसी गंभीर बीमारी से लोगों में खौफ है. अभी इससे निजात मिली नहीं कि दूसरी बीमारी सिर पर मंडराने लगी है. इसका नाम है एमआईएस-सी यानी कि मल्टीसिस्टम इनफ्लामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन. इसे अंग्रेजी में MIS-C यानी कि multisystem inflammatory syndrome in child कहा जा रहा है. नाम से स्पष्ट है कि यह बीमारी बच्चों में देखी जा रही है. जैसे ब्लैक फंगस कोविड-19 से जुड़ा है, वैसी ही MIS-C भी कोरोना वायरस से जुड़ी बीमारी है.

उत्तर भारत के लगभग हर प्रदेश में इस बीमारी ने दस्तक दी है. लगभग हर राज्य में इस बीमारी की चपेट में बच्चे देखे जा रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर परिवार में कोई कोविड-19 का मरीज हो या रिकवर हो चुका हो तो बच्चों को लेकर बहुत सावधान रहना है. बच्चों में किसी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

पटना मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निगम प्रकाश नारायण बताते हैं कि बिहार में इस तरह के दो केस बच्चों में दिखे हैं. एक 10 साल और दूसरा 11 महीने के बच्चे में MIS-C की बीमारी पाई गई. डॉ, निगम कहते हैं कि घर में कोई कोरोना मरीज रिकवर हो रहा है तो 6-8 हफ्ते तक बच्चों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है. यह गंभीर बीमारी है और समय पर इलाज न हो तो बड़ा खतरा पैदा हो सकता है.

क्या है MIS-C बीमारी
यह बीमारी कोविड-19 (covid-19) से जुड़ी है. यह बीमारी बच्चों के खुद कोविड से संक्रिमित होने या परिवार में किसी के संक्रमित होने से फैलती है. कोविड मरीज अगर रिकवर हो रहा हो और बच्चे उसके संपर्क में हों तो यह बीमारी ग्रसित कर सकती है. हालांकि कोरोना से संक्रमित मात्र 0.14 परसेंट बच्चे ही MIS-C की चपेट में आते हैं. लेकिन ध्यान रखा जाए तो आंकड़ा बढ़ सकता है. बच्चों में लगातार बुखार, त्वचा पर धब्बे या रैसेज, थकान, लाल आंखें और डायरिया जैसी समस्या दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टरों का मानना है कि इस बीमारी को डेंगू या डायफाइड की तरह नहीं ले सकते, उसकी तरह इलाज नहीं कर सकते. इसका पूरा इलाज अलग है और इसमें बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी होता है.

क्या कहा है WHO ने
MIS-C ऐसी बीमारी है जो बच्चों के ह्रदय, लीवर, फेफड़े और दिमाग को प्रभावित करती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी को लेकर आगाह किया है. बच्चों में तीन दिया या इससे अधिक दिन तक बुखार को एमआईएस-सी का बड़ा लक्षण बताया गया है. त्वचा पर रैशेज या बाइलैटरल नॉन पुरुलेंट, कंजक्टिवाइटिस (आंखें लाल होना), मुंह में हाथ पर या पैरों में म्यूको क्यूटेनियस इनफ्लामेशन साइन, हाइपरटेंशन या शॉक, मायोकार्डियल डिसफंक्शन, पेरीकार्डिटिस, डायरिया, उल्टी या पेट में दर्द एमआईएस-सी के लक्षण हो सकते हैं. दिल्ली-एनसीआर में 100 से ज्यादा केस एमआईएस-सी के मिले हैं. ऐसे ही केस बिहार और झारखंड में भी दिखे हैं.

कितनी खतरनाक है बीमारी
MIS-C नवजात बच्चों से लेकर 21 साल के युवाओं में देखी जा रही है. यह बीमारी कोरोना महामारी शुरू होने के बाद सामने आई है. बच्चों पर इसका गंभीर असर हो सकता है और सही वक्त पर इलाज न हो तो मौत तक हो सकती है. MIS-C में मृत्यु दर बहुत अधिक है क्योंकि अभी प्रति 100 में एक बच्चा इससे संक्रमित पाया जा रहा है. अगर बच्चों में कोविड-19 बीमारी का संक्रमण देखें तो उस हिसाब से एमआईएस-की संख्या बहुत कम है. मगर इससे बीमारी की भयावहता या गंभीरता को कम नहीं आंक सकते. कई राज्यों में देखें तो जिस तेजी से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसी तेजी से बच्चों में एमआईएस-सी की परेशानी बढ़ रही है. बच्चों के आईसीयू भी तेजी से भरते जा रहे हैं.

क्या हैं बीमारी के लक्षण
इस बीमारी में बच्चों के कई अंगों में सूजन आ जाती है. दिमाग, ह्रदय, खून की नलियां, पेट, किडनी या त्वचा में सूजन आती है. शुरू में बुखार होता है जिसके बाद सूजन शुरू हो जाती है. इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. 100 डिग्री से ऊपर बच्चे में बुखार दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. बुखार आने के 24-72 घंटे बाद त्वचा पर रैशेज, उंगलियों के सिरे पर चमड़ी का छूटना, गले में दर्द या सूजन, आंखें लाल होना और जीभ पर लाल धब्बे, पेट में दर्द, उल्टी. डायरिया और थकान इसके प्रमुख लक्षण हैं. मुश्किल वक्त में सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, आंखों का पीला या नीला पड़ना, ये गंभीर लक्षण हैं जिसके दिखते ही बच्चे को इमरजेंसी केयर में भर्ती कराना चाहिए.

Back to top button
close