क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से हटाई जा सकती है प्लाज्मा थेरेपी, इलाज में नहीं है असरदार

नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) के इलाज के क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी (Plasama Therapy) को हटाया जा सकता है. आईसीएमआर (ICMR) के विशेषज्ञ पैनल ने पाया कि यह थेरेपी गंभीर बीमारी या कोविड -19 रोगियों (Covid-19 Patients) की मृत्यु की प्रगति को कम करने में फायदेमंद नहीं है. सदस्यों ने प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कहा कि इकट्ठा की गई जानकारी और साक्ष्य सहायक नहीं पाए गए हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा अगले कुछ दिनों में इस पर एक परामर्श जारी करने की उम्मीद है.
कोविड-19 प्रबंधन पर भारत की राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने शुक्रवार, 14 मई को Sars-Cov-2 वायरस से संक्रमित रोगियों के अच्छे हो जाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी की समीक्षा करने के लिए बैठक की. शीर्ष विशेषज्ञों ने साक्ष्य प्रोफ़ाइल को देखा और इसकी जांच की. वर्तमान दिशा-निर्देशों के तहत लक्षणों की शुरुआत होने के सात दिन के भीतर बीमारी के मध्यम स्तर के शुरुआती चरण में और जरूरतें पूरा करनेवाला प्लाज्मा दाता मौजूद होने की स्थिति में प्लाज्मा पद्धति के इस्तेमाल की अनुमति है.
कुछ समय पहले सरकार को लिखी गई थी चिट्ठी
प्लाज्मा पद्धति को दिशा-निर्देशों से हटाने संबंधी विमर्श ऐसे समय हुआ है जब कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को पत्र लिखकर देश में कोविड-19 के उपचार के लिए प्लाज्मा पद्धति के ‘‘अतार्किक और गैर-वैज्ञानिक उपयोग’’ को लेकर आगाह किया है.
पत्र आईसीएमआर प्रमुख बलराम भार्गव और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया को भी भेजा गया है. इसमें जनस्वास्थ्य से जुड़े पेशेवरों ने कहा है कि प्लाज्मा पद्धति पर मौजूदा दिशा-निर्देश मौजूदा साक्ष्यों पर आधारित नहीं हैं.
अपने पत्र में, यह तर्क देने के लिए कि प्लाज्मा थेरेपी पर देश के मौजूदा दिशानिर्देश साक्ष्य पर आधारित नहीं थे, विशेषज्ञों ने तीन अध्ययनों का हवाला दिया – ICMR-PLACID परीक्षण, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित रिकवरी ट्रायल, और अर्जेंटीना का PlasmAr परीक्षण.