ट्रेंडिंगदेश -विदेशस्लाइडर

वैक्सीन, ब्लैक फंगस, वायरस से बचाव, जानिए- कोरोना से जुड़े हर सवाल का जवाब…

कोरोना महामारी के बीच इस वायरस के लक्षण, इसकी वैक्सीन, तीसरी लहर, ब्लैक फंगस, बच्चों पर इसका असर समेत लोगों के मन में कई सवाल हैं. इंडिया टुडे पर देश के बड़े डॉक्टर्स के पैनल ने कोरोना वायरस से जुड़े इन्हीं सब सवालों के जवाब दिए. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कोविशील्ड वैक्सीन के डोज के बीच 12-16 हफ्तों के गैप रखने के लॉजिक पर डॉक्टर्स से सवाल किया. जिसपर कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ हेमंत ठक्कर ने कहा कि वैक्सीन डोज (Corona Vaccine) के इस नए गैप के नियम से कोई असर नहीं होगा.

कोविशील्ड की डोज गैप में लेने से कोई बुरा असर नहीं
उन्होंने कहा कि आपके शरीर में एंटीबॉडी उतनी ही बनेगी, जितनी पहले बनती. 12 या 16 हफ्तों के बाद वैक्सीन शॉट लगवाने से ये एक तरह बूस्टर डोज का काम करेगा. कोरोना हमें हर दिन कुछ नया सिखा रहा है. इसीलिए कोविशील्ड की डोज गैप में लेने से कोई बुरा असर नहीं होगा.

पहली डोज लेने के बाद पॉजिटिव हुए लोग क्या करें?
कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद यदि कोई पॉजिटिव हो गया है तो उसे दूसरी डोज कब लगवाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में ग्लेनीगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी के डायरेक्टर डॉ सुब्रमण्यम स्वामीनाथन ने कहा, “तीन महीने से थोड़ा अधिक.” हालांकि, डाटा के मुताबिक कुछ लोगों को 6 महीने के बाद दूसरी डोज लेना चाहिए. लेकिन अधिकतर तीन महीने के बाद डोज ले सकते हैं.

क्या तीसरी डोज लगवानी चाहिए?
यदि कोई दूसरी डोज लेने के कुछ दिन बाद कोरोना से संक्रमित हो गया तो क्या उसे तीसरी डोज लगवानी चाहिए? इसपर डॉ सुब्रमण्यम ने कहा कि नहीं तीसरे डोज की जरूरत नहीं है. हां, उसे कोरोना के नियमों का पालन जरूर करना होगा. वैक्सीन 70 से 75% तक ही प्रभावी है, ऐसे में कोई यदि दोनों डोज लेने के बाद भी पॉजिटिव हो गया है तो घबराने की जरूरत नहीं है. क्योंकि दोनों डोज लेने के बाद कोरोना से मरने की संभावना काफी कम हो जाती है. ऑक्सीजन, आईसीयू सपोर्ट आदि की जरूरत भी बेहद कम हो जाती है. यानी कि वैक्सीन आपके कवच के रूप में काम करने लगती है.

एंटीबॉडीज कितना कारगर?
कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के दोबारा संक्रमित होने और उनमें बनी एंटीबॉडीज के कितना कारगर होने के सवाल पर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. लैंसलॉट पिंटो ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर में रिकवर हुए लोगों में सेल्फ मेड एंटीबॉडी बनी थी. लेकिन ये एंटीबॉडी 6-7 महीने तक ही प्रभावी रहती है, जबतक कि इनका मुकाबला नए और मजबूत वायरस न हो. डॉ पिंटो ने कहा कि इस साल दोबारा संक्रमित होने के केसों में इजाफ़ा हुआ है. वायरस के खिलाफ बनी खुद की एंटीबॉडी कुछ दिन बाद घटने लगती है और इस समय वैक्सीन का रोल बेहद बढ़ जाता है.

स्पुतनिक को अन्य वैक्सीन के साथ मिलाया जा सकता है?
क्या रूस की स्पुतनिक वैक्सीन को किसी अन्य कोरोना वैक्सीन के साथ मिलाया जा सकता है? इस सवाल के जवाब में डॉ सुब्रमण्यम स्वामीनाथन कहते हैं अभी डाटा के आने का इंतजार करना होगा. कौन सी वैक्सीन मिक्स की जा सकती है और कौन सी नहीं? हालांकि, कुछ वैक्सीन निर्माताओं के बीच इसको लेकर बात हुई थी, लेकिन अभी इसपर कोई फैसला नहीं हुआ. ऐसे में हमें कोई वैक्सीन किसी के साथ मिक्स नहीं करनी है.

Back to top button
close