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जानें क्यों भारत के लिए ज्यादा घातक साबित हो सकती है कोरोना की दूसरी लहर?

नई दिल्ली. देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) आ चुकी है. शुक्रवार को एक दिन के भीतर 62 हजार से ज्यादा केस सामने आए. विशेष रूप से महाराष्ट्र में दूसरी लहर का सबसे ज्यादा प्रभाव दिख रहा है. ऐसा नहीं कि भारत पहली बार इतने केस देख रहा है. बीते साल जून-जुलाई महीने में भी कोरोना मामलों की संख्या तकरीबन इतनी ही थी. लेकिन इस बार रफ्तार बेहद चिंताजनक है. महज दस दिन पहले देश में 30 हजार केस सामने आए थे. कोरोना की पहली लहर में बीते साल इतनी संख्या में मामले करीब 23 दिनों में बढ़े थे. यानी इस बार रफ्तार दोगुनी से भी ज्यादा है.

बीते साल सितंबर महीने में कोरोना का पीक आने के बाद देश में लगातार मामलों में कमी आई थी. हालांकि ऐसा नहीं कि दूसरी लहर को लेकर आशंकाएं नहीं थीं. लेकिन उम्मीद की जा रही थी अगली लहर में सितंबर की संख्या जैसे मामले सामने नहीं आएंगे. लेकिन दूसरी लहर की रफ्तार को देखते हुए कहा जा सकता है कि संभवत: संक्रमण के मामलों की संख्या सितंबर 2020 का रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है.

दूसरी लहर का सबसे जबरदस्त प्रकोप महाराष्ट्र में ही
हालांकि अभी तक देश में दूसरी लहर का सबसे जबरदस्त प्रकोप महाराष्ट्र में ही है. लेकिन गुजरात और पंजाब में नए मामलों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मामले बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं. अगर ये राज्य भी महाराष्ट्र की तर्ज पर आगे बढ़े तो इसमें शक नहीं कोरोना की दूसरी लहर पहली वाली से ज्यादा घातक साबित होगी.

यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल भी पहुंची दूसरी लहर तो क्या होगा?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि ऐसा सोचने के पीछे मजबूत वजह भी है. अभी सिर्फ महाराष्ट्र में ही कोरोना का प्रभाव सबसे ज्यादा है और नए मामलों की संख्या 62 हजार पहुंच चुकी है. अभी तक उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बचे हुए हैं. अगर इन राज्यों में भी कोरोना की दूसरी लहर पहुंची तो स्थितियां बदतर हो सकती हैं.

किए जा रहे हैं कई उपाय, SBI रिपोर्ट में वैक्सीनेशन पर जताया गया भरोसा
हालांकि महाराष्ट्र में नाइट कर्फ्यू की घोषणा की जा चुकी है. ऐसे ही पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल जैसे राज्य भी सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं. टीकाकरण का दायरा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 45 से अधिक उम्र से सभी व्यक्तियों को दायरे में ले आई है. कोशिश की जा रही है कि देश की अधिक से अधिक जनसंख्या को कम से कम कोरोना वैक्सीन का पहला डोज दिया जा सके. लेकिन इन सबके बीच दूसरी लहर की रफ्तार डरा रही है. SBI की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि प्रतिबंधों के बजाए वैक्सीनेशन की रफ्तार पर जोर दिया जाना चाहिए. रिपोर्ट ने वैक्सीनेशन को ही एकमात्र आशा बताया है.

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