नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्ष के समझौते के बाद भी पॉक्सो के तहत दर्ज मामले में एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने अपने एक फैसले में समझौते के आधार पर पॉक्सो के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए कहा, ‘पॉक्सो एक्ट लाया ही इसलिए गया था कि मौजूदा कानून में बच्चों के साथ अपराध की सही से व्याख्या नहीं थी.
इसलिए मां-बाप या कोई सगा संबंधी समझौता कर इसको खत्म नहीं कर सकता. इससे पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में बच्चों को न्याय नहीं मिलेगा. दिल्ली में कुछ साल पहले 7 साल के एक बच्चे के साथ यौन शोषण का मामला दर्ज हुआ था. पीड़ित के पिता के साथ विवाद खत्म होने पर आरोपी ने कोर्ट से यह मांग की इस एफआईआर को रद्द कर दिया जाए.
इस पर हाई कोर्ट ने आरोपी पक्ष के दलील को ठुकराते हुए कहा कि पीड़ित के पिता को आरोपी पक्ष के साथ समझौते के इजाजत नहीं दी जा सकती. साथ ही कोर्ट ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की मौजूदा कानूनों में सही तरह से व्याख्या नहीं की गई है. पॉक्सो एक्ट लाने का मतलब ही यह है कि बच्चों को सभी तरह के यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देना है. ऐसे अपराधों में समझौते की इजाजत देना न्यायहित में नहीं होगा.
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