देश शनिवार को 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। कोरोना महामारी के कारण इस साल के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उतनी चहल पहल नहीं दिखेगी जितनी देखी जाती थी। मतलब पहले की तरह धूमधाम नहीं दिखेगी।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हैं, जिसे ध्वजारोहण कहा जाता है। इसके अलावा भी अलग-अलग संस्थानों, कार्यालयों, स्कूल, कॉलेजों आदि जहगों पर भी ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है।
मगर आपको मालूम है कि ध्वजारोहण का एक अलग नियम है, जिसका पालन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए। अन्यथा की स्थिति में दंड का प्रावधान भी है। तो आइए हम आपको बताते हैं क्या है ध्वजारोहण का नियम?
क्या है ध्वजारोहण का नियम?
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए।
- झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
- केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता। प्लास्टिक का झंडा प्रतिबंधित है।
- अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
- सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है।
- झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता।
- झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
- झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
- किसी भी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता।
- तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।
- अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनता हो तो यह भी अपमान है।
- कटे-फटे या रंग उड़े हुए भारत के ध्वज को फहराया नहीं जा सकता।
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