देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और अब हर दिन दस हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. लेकिन क्या भारत में इस महामारी का पीक है, एक स्टडी की मानें तो भारत में नवंबर महीने के आसपास इस महामारी का पीक आएगा. देश में लॉकडाउन लागू होने की वजह से इस महामारी का डरावना रूप कुछ वक्त के लिए टल गया था, लेकिन नवंबर में जब पीक आएगा तो शायद अस्पतालों में ICU बेड्स, वेंटिलेटर की भी कमी हो जाएगी.
आईसीएमआर के द्वारा बनाए गए ऑपरेशंस रिसर्च ग्रुप की स्टडी में ये बातें सामने आई है. जिनके मुताबिक, लॉकडाउन के कारण कोरोना वायरस का पीक 34 से 76 दिन आगे की ओर टल गया है. मौजूदा वक्त में लॉकडाउन ने 97 फीसदी से महामारी के असर को कम किया, जिसने देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने का मौका दिया.
लॉकडाउन के बाद करीब 60 फीसदी तक हेल्थ सिस्टम इस्तेमाल में आ गया है, नवंबर में ये अपनी क्षमता को पूरा कर लेगा. तब आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की लंबे वक्त तक कमी हो सकती है. हालांकि, लॉकडाउन ने देश में हेल्थ सिस्टम को मजबूत करने का मौका दिया और इस कमी को 83 फीसदी तक कम किया.
रिसर्च के मुताबिक, लॉकडाउन के वक्त हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो काम हुआ है उससे पीक के वक्त की मुश्किलों को 70 फीसदी तक कम किया गया है. इसमें टेस्टिंग की क्षमता, आइसोलेशन और ट्रीटमेंट में मदद मिली है. साथ ही करीब 60 फीसदी मौतों को भी टाला गया है, क्योंकि अब सुविधाएं बेहतर हैं.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से लगातार दस हजार से अधिक मामले आ रहे हैं इसलिए चिंता बढ़ती जा रही है. मंत्रालय के मुताबिक, 9 जून तक देश में करीब 958 अस्पताल सिर्फ कोरोना के लिए काम कर रहे हैं. इनमें सवा लाख से ज्यादा आइसोलेशन बेड, 10 हजार से ज्यादा आईसीयू बेड, 46 हजार से ज्यादा ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बेड हैं.
इसके अलावा 7500 कोविड केयर सेंटर में भी सात लाख से अधिक बेड हैं. अभी 21 हजार से ज्यादा वेंटिलेटर हैं, करीब 60 हजार का और ऑर्डर दिया गया है.
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