कोचिंग ट्रेनों से पहुंचने वाले यात्रियों को गृह जिला जाने के लिए संसाधन नहीं मिल रहा है। शनिवार को ऐसे ही यात्री बड़ी संख्या में इधर- उधर भटकते नजर आए। चूंकि सभी ट्रेन से पहुंचे हैं।
इसलिए स्टेशन में सिर्फ थर्मल स्क्रीनिंग कर घर जाने की इजाजत दे दी गई।स्पेशल बनकर तीन कोचिंग ट्रेनें चल रही हैं। इससे यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। शनिवार को हावड़ा- अहमदाबाद एक्सप्रेस से 161 यात्री उतरे।
वहीं हावड़ा- मुंबई मेल से 27 और रायगढ़- गोंदिया जनशताब्दी एक्सप्रेस से 52 यात्री जोनल स्टेशन में उतरे। इनमें ज्यादातर ऐसे यात्री हैं जो लॉकडाउन के बाद फंसे हुए थे। ऐसे श्रमिक अब ट्रेनों में रिजर्वेशन कराकर बिलासपुर पहुंच रहे हैं।
स्टेशन में उतरने और जांच के बाद शहर के रहवासी तो निजी संसाधानों से घर लौट गए। लेकिन ऐसे यात्री जो दूसरे जिले के रहने वाले हैं उन्हें घर जाने के लिए साधन नहीं मिला। परिवार के साथ स्टेशन के बाहर बैठे रहे। चूंकि ये सभी कोचिंग ट्रेन से पहुंचे हैं।
इसलिए स्टेशन में उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं मिली। परिवार के सदस्य स्टेशन के आसपास बस ढूंढ़ते रहे। लेकिन उन्हें यह सुविधा नहीं मिल पाई। इनकी ओर न जिला प्रशासन और न ही रेलवे ने ध्यान दिया। जबकि श्रमिक स्पेशल से पहुंचने वालों की खूब खातिरदारी होती है।
इन यात्रियों का कहना था कि प्रशासन को ऐसे यात्रियों के लिए बस या दूसरे साधन का इंतजाम करना चाहिए। भले ही इसके बदले उनसे किराया ले लिया जाए। अभी तो स्थिति ऐसी है कि न घर जा पा रहे हैं और न दूसरी व्यवस्था मिल रही है।
केवल श्रमिक स्पेशल से पहुंचने वालों के लिए बसों की व्यवस्था की जा रही है। जब ट्रेन चला रहे हैं तो संसाधन का भी इंतजाम करना चाहिए था। इन यात्रियों के साथ बच्चे भी थे। जिनके चेहरे में अलग से परेशानी नजर आ रही थी।
115 ने की यात्रा
तीनों ट्रेनों में उतरने वाले यात्रियों की संख्या अधिक है। सफर करने से यात्री कतरा रहे हैं। शनिवार को इन ट्रेनों में सीमित यात्रियों ने सफर किया। इसके तहत जनशताब्दी एक्सप्रेस में 52, हावड़ा- मुंबई मेल में 22 और हावड़ा- अहमदाबाद से 41 यात्रियों ने यात्रा की।
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