छत्तीसगढ़स्लाइडर

छत्तीसगढ़: 201 स्कूलों में अटल टिंकरिंग लेब पूर्ण…नवाचारी उपकरण बनाने और संचालन की तकनीक सीख रहे विद्यार्थी…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के 201 स्कूलों में अटल टिंकरिंग लेब पूर्ण रूप से स्थापित हो चुका है। कक्षा 6वीं से 12वीं तक के स्कूली बच्चे नवाचारी उपकरण बनाने और उसके संचालन की तकनीक सीखते हैं। राज्य में शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बिलासपुर, रायगढ़, बसना, भिलाई, बालोद, रायपुर की जे.आर.दानी शाला के अलावा अन्य कई स्थानों के स्कूली छात्र-छात्राओं ने अटल टिंकरिंग लेब इनोवेशन मिशन (एआईएम) के तहत आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी, सेमिनार में भाग लेकर राज्य का मान बढ़ाया है।



स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि शासकीय बहु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्रों द्वारा बनाया गया, बायो स्मार्ट टायलेट, वेस्ट मैनेजमेंट पर आधारित मॉडल को दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, दुबई आदि स्थानों पर आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी में सराहा गया। दिल्ली में आयोजित प्रदर्शनी में इनके मॉडल को राष्ट्रपति द्वारा अवलोकन किया गया और देश के भावी वैज्ञानिकों के इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा भी की।


WP-GROUP

अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के तहत राज्य में 479 अटल टिंकरिंग लेब स्थापित किए जाने हैं। इसमें से राज्य शासन द्वारा संचालित 329 स्कूल, केन्द्र द्वारा संचालित 34 और निजी क्षेत्र की 116 स्कूलों में अटल टिंकरिंग लेब स्थापित की जानी है। स्कूलों में लेब स्थापना से केवल विज्ञान के छात्र ही नही बल्कि अन्य संकायों के छात्र भी रूचि लेते हैं।

स्कूली छात्रों में जिज्ञासा, सृजनात्मकता, कल्पना को प्रोत्साहन देने वैज्ञानिक उपकरणों को समझने और उनके साथ कार्य करने तथा विज्ञान, तकनीक, अभियांत्रिकी, गणित में क्या, क्यों और कैसे की अवधारणा को समझने और उनके अनुरूप कार्य करने का अवसर प्रदान करने के लिए स्कूल स्तर पर कक्षा 6 से 12 तक अटल टिंकरिंग लेब अभिनव कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इस कार्यक्रम का विजन Óभारत में 10 लाख ऐसे बच्चे तैयार करना है जो नए विचारों का समर्थन और पैरवी कर सके।



अटल टिंकरिंग लेब के लिए उपकरण आदि का चयन और खरीदी नीति आयोग के दिशा-निर्देश के अनुरूप की जाती है। प्रदेश में जेम के माध्यम से उपकरणों की खरीदी की होती है। चयनित वेण्डर के द्वारा स्कूलों की प्रयोग शालाओं में उपकरण स्थापित किया जाता है। प्रारंभिक तौर पर उपकरणों के संचालन और रख-रखाव की जानकारी दी जाती है। स्कूलों में प्रभारी शिक्षकों के निर्देशन में स्कूल के बच्चे स्वयं से नवीन उपकरणों का निर्माण और संचालन की तकनीक सीखते हैं।

यह भी देखें : 

छत्तीसगढ़: जिला पंचायतों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव 14 को…प्रथम सम्मिलन 24 फरवरी को…

Back to top button
close