रायपुर। छत्तीसगढ़ में कथित समाज कल्याण विभाग में गड़बड़ी को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट के द्वारा सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद गुरुवार को इस मामले में नया मोड़ आ गया है।सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ दायर रिव्यू पीटिशन पर विचार करते हुए कोर्ट की बेंच ने इस प्रकरण में स्थगन आदेश जारी कर दिया है। वहीं संबंधित पक्षों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी किया गया है।
ज्ञातव्य हो समाज कल्याण विभाग का यह घोटाला प्रकरण शुरू से ही संदिग्ध होता दिख रहा था। इस पूरे मामले में गठित समिति को कूल आबंटन 23 करोड़ रूपए का किया गया था किन्तु इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर लगभग 1 हजार करोड़ के घोटाले के रुप में प्रचारित किया गया तथा कुछ पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों को जिनकी इस मामले में कोई संलिप्तता नहीं थी शायद उन्हें बदनाम करने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत इस पूरे प्रकरण को उछाला गया।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिताकर्र्ता पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ एवं पूर्व अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत की रिव्यु पीटिशन पर विचार करते हुए इस पूरे प्रकरण पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है एवं संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस.पटवालिया व अभी सिंह ने पैरवी की।
छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग के कथित घोटाले के मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय की सीबीआई जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड व पूर्व अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत की याचिका पर आदेश पारित किया है।
ज्ञात हो कि एक एनजीओ की याचिका पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड व पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम.के. राउत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पी .एस. परवालिया व अवि सिंह ने पैरवी करते हुए इन अफसरों का पक्ष रखा। जस्टिस भानुमती की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाते हुए सीबीआई की जांच में रोक लगा दी है।
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