छत्तीसगढ़

हास्टल के छात्रों ने बेकार पड़ी जमीन को बना दिया उपजाऊ! कर रहे सब्जियों की खेती

रायपुर। कृषि महाविद्यालय रायपुर के सत्यम हॉस्टल के आस-पास का परिवेश कुछ महीने पहले तक कचरे, और कीचड़ से पटा हुआ था, लेकिन आज
वहां गोभी, टमाटर, बैगन, पालक, धनिया, अमरूद, पपीता, नींबू और संतरे की फसल लहलहा रही है और एक हरी-भरी पोषण वाटिका विकसित हो चुकी है। यह संभव हुआ हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की मेहनत और अनुशासन से। आज इस पोषण वाटिका में उत्पादित सब्जियों और फलों का उपयोग हॉस्टल मैस में बनने वाले भोजन में किया जा रहा है जिससे छात्रों को ताजी सब्जियां एवं फल खाने को मिल रहा है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील के मार्गदर्शन और अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव के निर्देशन में कृषि महाविद्यालय रायपुर के विभिन्न छात्रावासों में रिक्त और अनुपयोगी भूमि पर छात्रों की मदद से पोषण वाटिकाएं विकसित करने की योजना तैयार की गई। कुछ महीने पहले प्रारंभ किये गए कार्यक्रम के तहत सत्यम बालक छात्रावास तथा सरस्वती और मंदाकिनी बालिका छात्रावासों में पोषण वाटिकाएं बनाने का कार्य शुरू किया गया। सत्यम छात्रावास के वार्डन डॉ. नवनीत राणा और डॉ. अमित दीक्षित के नेतृत्व में हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने हॉस्टल के आस-पास की झाड़-झंगाड़, कचरे और गंदगी से भरी हुई दलदली जमीन की सफाई और समतलीकरण का काम शुरू किया। इस कार्य में मशीनों की सहायता भी ली गई। सफाई और समतलीकरण के बाद तैयार लगभग आधा एकड़ क्षेत्रफल में शीतकालीन सब्जियों – बैंगन, टमाटर, पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, धनिया, मेथी, भिन्डी, चैलाई आदि फसलों की खेती की गई। इसके साथ ही आस-पास की खाली पड़ी जमीन पर अमरूद, सीताफल, पपीता, नींबू, संतरा, बेल, करौन्दा आदि फलदार पौधे लगाए गए हैं।
पोषण वाटिका में लगाई गई फसलों से अब रोजाना सब्जियों की तुडाई हो रही है जिसका उपयोग मैस के भोजन में किया जा रहा है। इससे छात्रों को जहां ताजी एवं पौष्टिक सब्जियां खाने को मिल रही हैं और मैस के खर्च में बचत हो रही है वहीं उन्हें सब्जियों एवं फलों की खेती का व्यवहारिक अनुभव और तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है। अपनी मेहनत से उगाई गई सब्जियों को खाकर सत्यम हॉस्टल के छात्र बेहद प्रसन्न और रोमांचित हैं। वे कहते हैं कि यह हमारे लिए काफी सुखद अनुभव है। इसी तरह सरस्वती और मंदाकिनी बालिका छात्रावासों में वहां की वार्डन डॉ. दीप्ति झा और डॉ. अंबिका टंडन के नेतृत्व में छात्राओं द्वारा पोषण वाटिकाएं विकसित कर वहां सब्जियों और फलों की खेती की जा रही है। अधिष्ठाता छात्रकल्याण डॉ. जी.के. श्रीवास्तव कहते हैं कि हॉस्टलों की बेकार पड़ी जमीन पर पोषण वाटिकाओं के विकास से जहां भूमि का सदुपयोग हो रहा है और बच्चों को ताजे फल सब्जियां खाने को मिल रहे हैं वहीं छात्रों में रचनात्मकता एवं क्रियाशीलता का विकास हो रहा है।

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