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मुंबई प्लेन हादसा : लोगों को बचाने में गई पायलटों की जान… जानें क्या हुआ था उन अंतिम क्षणों में

मुंबई। मुंबई के घाटकोपर इलाके में विमान क्रैश के अंतिम क्षणों में अगर पायलट और टीम के उनके सदस्य सूझबूझ नहीं दिखाते तो यह हादसा और भी बड़ा होता। इस विमान हादसे में चार क्रू सदस्यों के अलावा एक राहगीर की भी मौत हुई। मृतकों में से एक पायलट कैप्टन राजपूत के परिजनों का कहना है कि अगर वह और उनकी टीम चाहते तो पैराशूट के इस्तेमाल से बच सकते थे, लेकिन उन्होंने आवासीय इलाके से विमान को निकालने और दूसरों की जान बचाने को अपनी जिंदगी से ज्यादा तवज्जो दी।
जानिए क्या हुआ था अंतिम क्षणों में…
गुरुवार को दोपहर 12:20 पर जुहू हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले इस जहाज को टेस्ट फ्लाइट के बाद जुहू पर ही उतरना था। लेकिन यह टेस्ट फ्लाइट पूरी नहीं हो सकी और एयरपोर्ट पर लौट रहा जहाज उड़ान भरने के 48 मिनट बाद ही क्रैश हो गया। जहाज जिस निर्माण साइट पर क्रैश हुआ वहां से सिटी एयरपोर्ट के रनवे की दूरी 3 किमी से भी कम बची थी।
उड़ान के दौरान लैंडिंग के लिए जहाज ने ज्यों ही राइट टर्न लिया, उसका संपर्क एटीएस जुहू से टूट गया। इसके बाद विमान एक पेड़ से टकरा गया। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उन्हें ऊपर से आग का गोला आते दिखा और एक के बाद एक तीन धमाकों के बाद मलबा फैल गया। वे 40 मजदूर आज खुद को भाग्यशाली समझ रहे होंगे जो उस कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे थे, जहां हादसा हुआ। हादसे से ठीक पहले ये मजदूर खाना खाने चले गए थे।


अगर लंच टाइम न होता तो मैं भी न होता
बिहार के मोहम्मद रौनक (24) जो पिछले एक साल से जागृति इमारत के निर्माण कार्य में मजदूरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि घटना से कुछ मिनट पहले ही मेरे दोस्तों ने मुझे खाना खाने के लिए बुलाया। मैंने पहला निवाला मुंह में डाला ही था कि ऐसा लगा जैसे बगल में बम फूटने लगा है। इसके बाद 30 मीटर की दूरी पर ही से हमने देखा कि आग लगी है और धमाके हो रहे हैं, एक के बाद एक। रौनक करीब 1 बजे अपना काम छोड़ खाना खाने गए थे।
भगवान ने बचा लिया
प्रवीण शाह और उनका बेटा जो कि घटनस्थल के पास ही की सोसायटी में रहते हैं। वह अपनी दुकान बंद कर अपनी कार से घर आ रहे थे। जैसे ही उनकी कार जागृति इमारत को पार की करीब 20 से 25 मीटर की दूरी पर जाने के बाद ही उन्हें धमाका सुनाई दिया। जब उन्होंने पीछे मुडक़र देखा तो सडक़ पर आग फैल रही थी। शाह ने बताया कि अगर कुछ मिनट की और देरी से दुकान बंद की होती तो शायद मैं और मेरा बेटा हादसे का शिकार हो गए होते। भगवान का लाख-लाख शुक्र है, जिन्होंने हमें बचा लिया।


एक बाद एक धमाके, बिल्डिंग में हडक़ंप
घटनास्थल से 100 मीटर से भी कम की दूरी पर स्थित इमारत जय कुअर बिल्डिंग की तीसरे मंजिले पर रहने वाली हृति और शेफाली ने बताया कि यहां से विमान अक्सर पास होते थे। ऐसे ही 1.15 बजे के करीब विमान हमारे टेरेस फ्लैट के ऊपर से गुजरा। इसके बाद अचानक एक धमाका हुआ। फिर हमने खिडक़ी पर जा कर देखा, तो सडक़ पर आग ही आग थी। इसके बाद देखा कि विमान के मलबे की चपेट में एक राहगीर आ गया, जिसका नाम गोविंद पंडित होने की बात लोग कह रहे हैं। इसके बाद हमारी बिल्डिंग से पहली और दूसरी मंजिल के लोगों ने घर खाली करना शुरू कर दिया, क्योंकि नीचे लकड़ी की दुकान थी और आग फैलने की गुंजाइश अधिक थी। शेफाली स्कूल बंद कर सिर्फ घर में पहुंची ही थीं कि हादसा हुआ।

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