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“छत्तीसगढ़ की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ लगातार जारी” : कांग्रेस

रायपुर। प्रदेश में 23537 पद चिकित्सकों के ख़ाली पड़े हैं वहीं विशेषज्ञ चिकित्सक के 88 प्रतिशत पद ख़ाली होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि डॉक्टरों के अधिकांश पद रिक्त लेकिन डॉ. रमन सिंह जी को कोई सरोकार नहीं है। छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की कमी बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार छत्तीसगढ़ में सेटअप से 15 गुना ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है। यहां चाहिये 25600 डॉक्टर लेकिन फिलहाल 1873 का ही सेटअप स्वीकृत है।

इसमें भी 410 पद खाली है। छत्तीसगढ़ के दो करोड़ 56 लाख की आबादी के लिये यहां अभी 1463 डॉक्टर ही मौजूद है। अभी प्रदेश में 6 सरकारी और तीन निजी मेडिकल कालेज है। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर समेत 6 मेडिकल कालेजों में हर साल 650 और तीन निजी मेडिकल कालेज चंदूलाल, शंकराचार्य और रिम्स मेडिकल कालेज से 450 छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करते है। इस वर्ष सरकार की लापरवाही के चलते प्रदेश की 450 मेडिकल सीटों का प्रवेश वर्ष शून्य कर दिया गया।



डब्ल्यूएचओ के मानक अनुसार आबादी के अनुपात में चिकित्सक नहीं है। प्रदेश में चाहिये 25 हजार डॉक्टर लेकिन यहां 1463 विशेषज्ञ के 88 फीसदी पद खाली है। बस्तर व सरगुजा संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। बस्तर और सरगुजा संभाग की स्थिति सबसे खराब है। यहां पर डॉक्टरों के सेटअप के ही पद नहीं भरे जा सके है। डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार डॉक्टरों की उपलब्धता तो दूर, बस्तर संभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों के जहां 95 फीसदी पद खाली है। वहीं चिकित्सा अधिकारियों के 56 फीसदी पद रिक्त है।

वहीं इन दोनों संभागों में दंत चिकित्सकों के कुल स्वीकृत 25 में से 24 पद यानी 96 फीसदी पद खाली है। 1000 आबादी पर हो 1 डॉक्टर – विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति 1000 आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिये। लेकिन भारत में यह अनुपात मात्र 0.65 ही है। पिछले 10 सालों में यह कमी तीन गुना तक बढ़ी है। फिलहाल, देशभर में 14 लाख डॉक्टरों की कमी है और प्रतिवर्ष लगभग 5500 डॉक्टर ही तैयार हो पाते है। कहीं-कहीं तो 95 प्रतिशत नहीं डॉक्टरों के पद रिक्त है। राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के मामले में सबसे ज्यादा बुरा हाल बस्तर संभाग का है।



यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों के 95 फीसदी पद खाली है, जबकि सरगुजा संभाग में 93 फीसदी पद खाली है। बिलासपुर संभाग में 85 फीसदी और रायपुर संभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 84 फीसदी पद नहीं भरे गए है। डेंटल में तो सबसे बुरा हाल – प्रदेश के डेंटल डॉक्टरों की भी भारी कमी है। यहां डेंटल की 91 फीसदी डॉक्टरों के पद खाली है।

राज्य में डेंटल के कुल 112 पद स्वीकृत है, इनमें से केवल 10 पर ही दंत चिकित्सक पदस्थ है। शेष 102 पद खाली है। सबसे बुरा हाल बस्तर का है। यहां डेंटल के एक भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है। बस्तर संभाग के 14 में से 14 पद और सरगुजा में 11 में से 10 पद खाली पड़े है, जबकि रायपुर संभाग में 69 में से 63 पद और बिलासपुर संभाग में 18 में से 15 पद खाली है।

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