Republic Day 2020: दिलचस्प है तिरंगे का सफर…जरूर पढ़ें बनने-बदलने की कहानी…

देश पर गणतंत्र दिवस का रंग छा गया है। राजधानी दिल्ली में राजपथ पर तो जश्न मनेगा ही, हर भारतवासी के मन में तिरंगा लहलहाएगा। तिरंगा आज देश की शान है, लेकिन कम ही लोगों को पता है कि यह इस स्वरूप में आया कैसे? यानी तिरंगा कैसे हमारा राष्ट्रीय झंडा बना? इसकी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।
6 बार बदले जाने के बाद तिरंगा बना था। 1906 में पहली बार भारत का झंडा बना था, जिस पर वंदे मातरम् लिखा गया था। इसके बाद 1907, 1917, 1921, 1931 और आखिरकार 1947 में फिर बदलाव हुआ। 1917 में जो झंडा बना था, उस पर तो ब्रिटेन का झंडा और चांद-सितारे भी बने थे। पढ़िए तिरंगे की पूरी कहानी –
सन् 1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बांध दे। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर नेशनल फ्लैग मिशन का गठन किया। इसके 45 साल बाद यानी 22 जुलाई 1947 को राजेंद्र प्रसाद ने कुछ बदलावों के साथ तिरंगे को राष्ट्रीय ध्यज स्वीकार किया था।
1857 की लड़ाई में भी भारतीय झंडा लहराया गया था, लेकिन वह स्वतंत्रता संग्राम का झंडा माना गया। पहला भारतीय झंडा 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के ग्रीन पार्क में फहराया गया था।
1907 में एक बार फिर झंडा डिजाइन किया गया, लेकिन यह बहुत कुछ पहले जैसा ही था।
1917 में एक बार फिर झंडा डिजाइन किया गया है। इसमें खासतौर पर सप्तऋषि को दिखाया गया।
1921 में गांधीजी को एक झंडा पेश किया गया। इसमें लाल और हरा रंग दिखाया गया। लाल रंग हिंदुओं का और हरा रंग मुस्लिमों को प्रतीक था।
1921 के झंडे को देश के एक वर्ग ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद नई डिजाइन की कवायद शुरू हुई।
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