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छत्तीसगढ़: खरीदी में देरी से किसानों के सामने खड़ी हुई धान रखने की समस्या

रायपुर। सरकार द्वारा खरीदी एक महीना विलंब से करने के कारण किसानों के सामने धान को रखने की समस्या पैदा हो गई है। सरकार अब तक एक नवंबर से धान की खरीद करती रही है। इसी समय धान की कटाई शुरू होती है। नवंबर में खरीद शुरू होने से किसान धान काटकर सीधे खरीद केंद्र ले जाते थे, लेकिन अब अधिकतर किसानों को धान काटकर खेत, खलिहान, बियारी और घर के आंगन में ढेरी लगाकर रखना पड़ रहा है। खरीदी में विलंब से किसान धान की लागत प्रति क्विंटल डेढ़ सौ स्र्पया बढ़ने की बात कह रहे हैं। बता दें कि अब तक प्रदेश में करीब 15 फीसद धान की कटाई हो चुकी है।



राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का काम हर साल एक नवंबर से किया जाता रहा है। यही समय धान की कटाई का भी है। इसके चलते किसान खेत से धान कटाई और मिंजाई कर सीधे खरीद केंद्र बेचने के लिए ले जाते थे। इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचता था। इसके अलावा रबी फसल की तैयारी को लेकर भी पर्याप्त समय मिलता था।

लेकिन इस साल सरकार ने एक दिसंबर से धान खरीदने का फैसला किया है। इससे किसान परेशान हैं। एक तो किसानों को कटा हुआ धान खेत, खलिहान, बियारी और घ्ार में रखना पड़ रहा है। दूसरे किसानों के त्योहार भी फीके होना तय है। क्योंकि दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार नवंबर में ही हैं। बता दें कि इस वर्ष प्रदेश में धान की खेती करने वाले एक लाख 82 हजार 392 किसान पंजीकृत किए गए हैं और 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है।

बारिश हुई तो नुकसान तय
किसानों की मानें तो प्रदेश में अब तक करीब 15 फीसद धान की कटाई हो चुकी है। किसानों ने मिंजाई के बाद धान को घर के आंगन, खेत व खलिहान में रखा है। किसानों को धान की रखवाली के लिए खेतों में रतजगा करना पड़ रहा है। ऐसे में अगर बारिश हो जाती है तो धान का भीगना तय है।

कोचियों के चक्कर में पड़ सकते हैं किसान
मजदूरी और त्योहार को देखते हुए किसान जरूरत के हिसाब से कोचियों के पास भी धान बेच सकते हैं। कोरबा के किसान जवाहरलाल कवर ने बताया कि किसानों को मजदूरी से लेकर बैंक कर्ज पटाने होते है। ऐसे में किसान के पास कोचिए ही एकमात्र विकल्प बचते हैं।



रायपुर जिला पंजीयक अधिकारी हरीश शर्मा ने बताया कि कोरोना के कारण धान की प्रक्रिया सही तरह से संचालित नहीं हो पाती। पिछले वर्ष भी 15 नवंबर से खरीदी शुरू हुई थी। इस लिहाज से इस साल धान खरीद की तारीख पंद्रह दिन ही आगे खिसकी है।

पंजीयन की तिथि भी दस नवंबर तक बढ़ी
सरकार ने धान खरीदी की तिथि आगे बढ़ाने के साथ ही धान बेचने पंजीयन की तिथि को भी आगे बढ़ा दिया है। रायपुर जिला पंजीयक अधिकारी ने बताया कि अब समितियों में धान बेचने के लिए किसान दस नवंबर तक पंजीयन करा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले पंजीयन की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित थी।



किसानों का दर्द
पखांजूर के किसान पवित्र घोष बताते हैं कि धान खरीदी में देरी होने से फसल की कटाई पिछड़ गई है, जिससे धान की बालियों नमी आ जाएगी, पके धान बाली भी टूटेंगी। वहीं धरसींवा के किसान यशवंत शर्मा ने कहा कि कर्ज चुकाने के लिए खुले बाजार में धान बेचना होगा, क्योंकि साहूकारों का कर्ज भरने के लिए फसल मात्र आय का साधन है।

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