रायपुर। सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत इलाज के दौरान धोखाधड़ी की शिकायतों पर स्टेट एन्टी-फ्रॉड यूनिट ने अस्पतालों पर अर्थदंड और निलंबन की कार्रवाई की है। इस तरह की शिकायतों पर कार्यवाही के लिए राज्य नोडल एजेंसी द्वारा छह महीने पहले स्टेट एन्टी-फ्रॉड यूनिट का गठन किया गया था। हाल ही में 1 जनवरी को लागू डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना एवं मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना में इलाज के दौरान फ्रॉड की शिकायतों पर भी यह यूनिट कार्रवाई करेगी।
राज्य नोडल एजेंसी के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इन दोनों योजनाओं के तहत उपचार के दौरान फ्रॉड रोकने शिकायत के लिए एजेंसी द्वारा मापदंड तय किए गए हैं। इनमें अस्पताल द्वारा इलाज के लिए अतिरिक्त राशि लिया जाना, पैसे के लालच में अनावश्यक उपचार करना, बिना जरूरत के उपचार करना और गुणवत्ताहीन इलाज करना शामिल है। स्टेट एन्टी-फ्रॉड यूनिट मरीजों की शिकायतों का इन मापदंडों पर परीक्षण कर उचित कार्रवाई करेगी।
अर्थदण्ड, निलंबन और बर्खास्तगी का प्रावधान:-मरीजों के साथ अलग-अलग मापदण्डों में धोखाधड़ी करने वाले अस्पतालों के विरूद्ध कार्यवाही के अलग-अलग प्रावधान हैं। स्टेट एन्टी-फ्रॉड यूनिट तकनीकी समिति से विचार-विमर्श कर परिस्थतियां देखकर नियमानुसार अर्थदण्ड, निलंबन और बर्खास्तगी की कार्रवाई करेगी। गंभीर शिकायतों पर अनुबंधित अस्पताल को ब्लैक-लिस्टेड भी किया जा सकता है।
शिकायतों पर हो चुकी है कार्रवाई:- मरीजों की शिकायतों पर स्टेट एन्टी-फ्रॉड यूनिट द्वारा तय मापदंडों के अनुसार कार्रवाई की जा चुकी है। इलाज के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों के विपरीत काम करने वाले छह अस्पतालों के खिलाफ अर्थदण्ड आरोपित कर राशि वसूल की गई है।
संबंधित अस्पतालों द्वारा 40 लाख रूपए से अधिक राशि राज्य नोडल एजेंसी के खाते में जमा भी करा दी गई है। दो दन्त चिकित्सालयों को 80 लाख रूपए जमा करने का नोटिस भेजा गया है।
अस्पतालों की गलती पाए जाने पर छह अस्पतालों को निलंबित किया जा चुका है। इनमें से तीन अस्पतालों द्वारा अपील करने पर सुनवाई के बाद फिर से योजनाओं में काम करने का मौका दिया गया है। महासमुन्द जिले में स्थित एक अस्पताल को शासकीय योजनाओं के तहत इलाज से बर्खास्त भी किया गया है।
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